19 October 2019

WISDOM -----

   भाषण , प्रवचन , नियम - कानून  आदि   बाहरी  दबाव  से   मन  को  एक  सीमित  मात्रा  में  ही  काबू  में  रखा  जा  सकता  है  l   आत्मसुधार  तो  ह्रदय  परिवर्तन  से  ही  संभव  है    और   यह   व्यक्ति   को   स्वयं  ही  संयम - साधना  के  आधार  पर  करना  होता  है   अर्थात  अपनी  दुष्प्रवृतियों  पर  नियंत्रण   करने    का  कार्य  व्यक्ति  को  स्वयं  ही  करना  पड़ता  है  l
 संत  एकनाथ  के  साथ  तीर्थयात्रा  पर  एक  चोर  भी  चल  पड़ा   l  साथ  लेने  से  पूर्व  संत  ने  उससे  रास्ते  में  चोरी  न  करने  की  प्रतिज्ञा  कराई  l  यात्रा  मंडली  को  नित्य  ही   एक  परेशानी  का  सामना  करना पड़ता  I  रात  को  रखा  गया  सामान  कहीं  से  कहीं  चला  जाता  l  नियत  स्थान  पर  न  पाकर  सभी  हैरान  थे   और  जैसे - तैसे  , जहाँ - तहां  से  ढूंढकर  लाते  l  नित्य  की  इस  परेशानी  से  तंग  आकर  ,  रात  को  जागकर   इस  उलट - पुलट  की  वजह  मालूम  करने  का  जिम्मा  एक  चतुर  यात्री  ने  उठाया ,   खुरफाती  पकड़ा  गया  l  सबेरे  उसे  संत  के  सम्मुख  पेश  किया  गया  l  पूछने पर  उसने  वास्तविकता  कही  l  चोरी  करने  की  उसकी  आदत  मजबूत  हो  गई  है   l  चोरी  न  करने  की  यात्रा काल में  कसम  निभानी  पड़  रही  है  ,  पर  मन  नहीं  मानता   तो  तूम्बा - पलटी  ( इधर  से  उधर  सामान  रख  आना )  इससे  उसका  मन  बहल  जाता  है   l  संत  एकनाथ  ने  मंडली  के  साथियों   को  समझाया  कि मन  भी  एक  चोर  है , उसे बाहरी  दबाव  से  सीमित  मात्रा  में  ही  काबू  किया  जा  सकता  है  l