3 March 2020

WISDOM ------ आज की सबसे बड़ी और भयावह समस्या ---- अन्त: संवेदना का मूर्च्छाग्रस्त हो जाना !

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  ने  लिखा  है ---- '' अपने  बौद्धिक  होने  के  अहंकार   और  बढ़ती  निष्ठुरता  के  कारण   मनुष्य  ऐसा  कुछ  कर  रहा  है   जिसे  देखकर  प्राचीन     दैत्यों  के   दिल  दहल  जाएँ  l  जीवित  बछड़ों  का  पेट  फाड़कर   तरल  द्रव  निकालने ,  हँसते - खेलते  खूबसूरत  खरगोशों   को  दबोचकर   चीड़ - फाड़  कर  देने   जैसे  नृशंस  कृत्य   सिर्फ  इसलिए  किये  जाते  हैं  कि   अधिक  से  अधिक  फैशन  का  सामान  बनें  और  सुन्दर  दिख  सकें   l   धन  कमाने  और  वैभव  जुटाने  की   सनक  यहाँ  तक  है  कि   किसी  के  घर - आँगन  की  खुशहाली  - नन्हे - मुन्ने   बालकों  को  पकड़ कर   उनके   अंग  निकालने  और  बेचने  का  धंधा  भी  शुरू  हो  गया  है   l   इनकी  चीख   चिल्लाहट   , तड़फड़ाहट  के   बीच  वह  इसलिए  खुश  होता  है  कि   कमाई  हो  गई   l   यह  सब  और  किसी  का  नहीं   उस   मनुष्य   का  व्यवहार  है   जिसे  अपने  बुद्धिमान  और  सभ्य  होने  पर  गर्व  है   l  "
 डॉ. राधाकृष्णन  ' द   कांसेप्ट  ऑफ   मैन  ' में  लिखते  हैं ---- ' विश्व  के  इतिहास  से  साफ   जाहिर  होता  है   कि   जब  कभी   जहाँ  कहीं  भी   समाज  टूटा - बिखरा  है   उसका  एक  ही  कारण  है   मानव  की  व्यक्तिगत   और  समूहगत  निष्ठुरता  l -----
  राजतन्त्र  को  उलटकर  प्रजातंत्र ,  साम्यवाद   को  उलटकर  समाजवाद  का  स्थापन  ,  यही  है  विश्व  का  इतिहास   l   पर  क्या  मनुष्य  इस  उलट - फेर  में  सुखी  हो  सका  ?   नहीं  !  क्योंकि   उसने  अपने  व्यवहार  का  प्रेरक   तत्व  नहीं  बदला  l   निष्ठुरता  के  स्थान  पर   अन्त: संवेदना  की  स्थापना  नहीं  की  l 
   आचार्य  श्री  लिखते  हैं ---- ' समस्त  समस्याओं  का  एकमात्र  हल  है  --- भाव - संवेदनाओं  का  जागरण  l   इस  जागरण  के  बाद  ही   उसके  व्यवहार  में  चिर  स्थायी  सुधार  संभव   हो  सकेगा  l   हृदय  में  संवेदना  के  जागते  ही    स्वार्थ  उलट  कर  परमार्थ ,    ध्वंस  को  सृजन    और  क्रूरता  को  दयालुता  में  बदलते  देर  नहीं  लगेगी   l  '