3 March 2022

WISDOM ------

   महर्षि  व्यास    श्लोक  बोलते  गए  और  गणेश जी   लिखते  गए   तब  यह  महाकाव्य  -' महाभारत '  की  रचना  हुई  l   यह  कोई  सामान्य   ग्रंथ  नहीं  है  ,  इसमें  बहुत  ही  स्पष्ट  रूप  से  बताया  गया  है  कि  जब  भी  अन्याय , अत्याचार ,  उत्पीड़न ,  अनैतिकता , शोषण   की  अति   हो  जाती  है  ,  फिर  चाहे  यह  परिवार  में  हो , किसी  संस्था  में  हो , राष्ट्र  में  या  फिर  वैश्विक  स्तर  पर  हो  ,  उसका  अंत    किस  प्रकार  होता  है  l  ------- जब  संसार  में  असुरता  बहुत  शक्तिशाली  हो  जाती  है   और  देव  पक्ष  कमजोर  हो  जाता  है   तब  गीता  में  दिए  गए  वचन  को  निभाने   भगवान  को  आना  पड़ता  है   l  भगवान  कृष्ण   ने  जैसे  अर्जुन  का  मार्गदर्शन  किया  वैसे  ही  वे  देव पक्ष  का  मार्गदर्शन  करते  हैं    और  भगवान  शिव   का  तृतीय  नेत्र  खुल   जाता  है   l   महाभारत  में  प्रसंग  है  ---  द्रोपदी  का   चीर -हरण  के  लिए  दु:शासन  उसे   उसके केश  पकड़  कर  घसीटते  हुए  लाया  था ,  तब  द्रोपदी  ने  प्रतिज्ञा  की  थी  कि   जब  दु:शासन  के  रक्त  से  अपने  केश  धोऊंगी   तभी  उन्हें  गूथूंगी   l   उस  दिन  आने  तक  वे  खुले  ही  रहेंगे  ,  इसलिए  जब  भी  भगवान  कृष्ण  उनके  सामने  आते   तो  द्रोपदी  उन्हें  अपने  खुले  केश  दिखातीं ,  उनकी  आँखों  में  प्रश्न  होता , भगवन   कब  तक  ?  तब  भगवान  कृष्ण   ने उन्हें  समझाया  --  अवतार  का  उद्देश्य  अधर्म   का  नाश  और  धर्म व   न्याय  की  स्थापना  है  l   केवल  मात्र  दुर्योधन  और  दु;शासन  के  अंत  से  यह  उद्देश्य  पूरा  नहीं  होगा  ,  तुम  धैर्य  रखो   l   युद्ध  निश्चित  हो  गया  ,  संसार  के  जितने  भी  शक्तिशाली  राजा  दुर्योधन  के  , अन्याय  और  अत्याचार  के  पक्ष  में  थे  ,  एक - एक  कर  के  उन  सब  का  अंत  हुआ   फिर  आखिरी  में  दुर्योधन  का  भी  अंत  हो  गया  l  अत्याचारी , अन्यायी  कभी  अकेला  नहीं  होता   उसके  तार  पूरी  धरती  पर  फैले  होते  हैं  l   उस  युग  में   दुर्योधन   हो  या  रावण   ,  यह  स्पष्ट  था  कि   उनके  आदेश  पर  ही  यह  अन्याय  हो  रहा  है   l   आज  के  युग  में  दुर्योधन ,  रावण   या  कहें  ' डॉन '  कौन  है  ?  यह  तो  ईश्वर  ही  जानते  हैं  ,  बस  ! क्रम  वही  है  , पहले  उसके  चाटुकारों  का  ,  अधर्म , अन्याय  का  साथ  देने  वालों   का अंत  होगा  ,  उसका  नंबर  सबसे  आखिरी  में  आएगा  l   पहले  के  युद्ध  मैदान  में  होते  थे  ,  निर्दोष  प्रजा , बच्चे  फिर  भी  सुरक्षित  थे  लेकिन  यह  कलियुग  है  ,  असुरता  की  भूख  बहुत  बढ़  गई  है  , गेहूं  के  साथ  घुन  भी  पिस   जाते  हैं   l