16 April 2013

ईसा कहते थे -"महानता अपनाने के लिये बांया हाथ सक्रिय हो तो उसी से पकड़ लें | ऐसा न हो कि दाहिना हाथ संभालने की थोड़ी सी अवधि में ही शैतान बहका ले और जो सुयोग बन रहा था ,वह सदा के लिये अपनी राह चला जाये | "

TIME MISSPENT IS NOT LIVED BUT LOST

'आत्मा का नाश करने वाले नरक के तीन दरवाजे हैं --काम ,क्रोध और लोभ | इसलिये इन तीनों को त्याग देना चाहिये | '
एक बार पांच असमर्थ ,अपंग एकत्र हुए और कहने लगे कि यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो हम परमार्थ का कार्य करते ,पर क्या करें !अंधा बोला -मेरी आँखे होती तो जहां कहीं बिगाड़ दिखाई देता ,उसे सुधारने में लग जाता | लंगड़े ने कहा -मेरे पैर होते तो मैं दौड़ -दौड़कर भलाई का काम करता | निर्धन ने कहा -मेरे पास धन होता तो मैं दीन -दुखियों के लिये लुटा देता | मूर्ख ने कहा -यदि मैं विद्वान् होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता ,चारों ओर ज्ञान का प्रकाश होता | वरुण देव ने उनकी बातें सुनी और सच्चाई परखने के लिये उन्होंने सात दिन के लिये सशर्त उन्हें आशीर्वाद दिया | जैसे ही रूप बदला ,पांचों के विचार भी बदल गये |
                 अंधे ने कामुकता की आदत अपना ली | लंगड़ा घूमने निकल पड़ा धनी ठाठ -बाट एकत्र करने में लग गया | बलवान दूसरों को सताने लगा | विद्वान ने सबको उल्लू बनाना शुरू कर दिया | वरुण देव लौटे और देखा कि वे सब तो स्वार्थ सिद्धि में लगे थे |देवता नाराज हो गये उन्होंने वरदान वापस ले लिये |
अब उन्हें प्रतिज्ञा याद आईं ,लेकिन समय निकल चुका था |
हम सब भी जीवन में मिली विभूतियों को याद नहीं रखते ,उनका सुनियोजन नहीं करते | तृष्णा और वासना के पीछे भागते -भागते ही सारा जीवन बीत जाता है |