ब्रिटेन की धरती पर जन्म लेकर भी वह किसी एक देश के होकर न रहे l लार्ड रसेल विश्व को एक कुटुम्ब के रूप में देखना चाहते थे l मानव - मानव के बीच धर्म , जाति, सम्प्रदाय और राष्ट्र की जो ऊँची - ऊँची दीवारें खड़ी हैं उन्हें वे तोड़ने के लिए प्रयत्नशील थे l ' रिमेम्बर योर ह्यूमनिटी एंड फोरगेट दी पास्ट ' नामक वक्तव्य को प्रसारित करते हुए उन्होंने कहा था ---" आप पृथ्वी के धरातल के किसी भी भाग में जन्म लें , इससे कुछ भी बनता - बिगड़ता नहीं , यदि कोई महत्वपूर्ण बात याद रखने की है तो वह यह कि आप इनसान हैं l
जब प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो वे सोचने लगे कि कितने ही नवयुवक जो देश की रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय रूप से सहयोग दे सकते हैं , युद्ध की अग्नि उन्हें अपने में समेट लेगी l 1915 में उनकी पुस्तक ' व्हाई मैन फाइट ' प्रकाशित हुई l यह पुस्तक प्रत्येक युवक के हाथ में दिखाई देने लगी l अनिवार्य भरती का जो कानून बनाया था , उसके विरोध में स्वर फूटने लगे l शान्ति में जिनकी आस्था थी उन्होंने सेना में भरती होने से इनकार कर दिया l
रसेल अंत तक मानव को प्रेम से हाथ में हाथ मिलाकर चलने का सन्देश देते रहे l
जब प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो वे सोचने लगे कि कितने ही नवयुवक जो देश की रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय रूप से सहयोग दे सकते हैं , युद्ध की अग्नि उन्हें अपने में समेट लेगी l 1915 में उनकी पुस्तक ' व्हाई मैन फाइट ' प्रकाशित हुई l यह पुस्तक प्रत्येक युवक के हाथ में दिखाई देने लगी l अनिवार्य भरती का जो कानून बनाया था , उसके विरोध में स्वर फूटने लगे l शान्ति में जिनकी आस्था थी उन्होंने सेना में भरती होने से इनकार कर दिया l
रसेल अंत तक मानव को प्रेम से हाथ में हाथ मिलाकर चलने का सन्देश देते रहे l