17 September 2019

WISDOM

      प्रसिद्ध  कवि  अब्दुर्रहीम  खानखाना  के  पास  एक  व्यक्ति  आया   और  उनसे  पूछने  लगा  कि  जीवन  में  सबसे  महत्वपूर्ण   कौन  सा   संयम    है  ?  उन्होंने  कविता    के  माध्यम  से  उत्तर  दिया  -----
  ' रहिमन  जिह्वा  बावरी  ,  कर  गई  सरग  पताल  l  खुद  कह  भीतर  घुस  गई ,  जूती  पड़े  कपाल  l l
  अर्थात  सारे  संयमों  में  वाणी  का  संयम  अत्यंत  महत्वपूर्ण  है   l  जीभ  खुद  तो  बात  कहकर  मुंह  के  अन्दर  चली  जाती  है  ,  परन्तु  उसका  परिणाम  कहने  वाले  को  भुगतना  पड़ता  है   l
  मौन  हमें  कई  बार    व्यर्थ  के  विवादों  और  इससे  उत्पन्न  होने  वाली  परेशानियों  से  बचा  लेता  है  l  लेकिन  केवल  न  बोलना  ही  मौन  नहीं  है  l  यदि  किसी  के  मन  में  विचारों  की  उथल - पुथल  हो  रही  है   या  उसके  मन  में  किसी    अन्य   व्यक्ति  राग - द्वेष  या  क्रोध   का  ज्वार  उठ  रहा  हो  तो  इसे मौन  नहीं    कह   सकते   l  वास्तविक  व  पूर्ण  मौन    वह है  ,  जिसमे  मन  और  वाणी  दोनों  ही  पूरी  शांत   हों  l
  मौन  साधने  से  व्यक्ति  के  अन्दर  स्थिरता  व  शांति  बढ़ती  है  और  उसे  अपने   कार्यों  में  सफलता  मिलती  है   l

WISDOM -----

  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  लिखा  है  ---- ' जिस  तरह   इस स्रष्टि  में   दिन  के  बाद  रात  आती है  और  रात  के  बाद  पुन:  सवेरा  ,  वैसे  ही  यह  चक्र  लगातार  चलता  रहता  है  l  इसी  तरह  जीवन  में   यदि  सुख  है  ,  तो  दुःख  भी   आता  है  l  यदि  सफलता  है ,  तो  असफलता  का  भी  स्वाद  मिलता  है  l  यदि  प्रसन्नता  है ,  तो  विषाद  भी  जीवन  में  कभी  न  कभी  आता  है  l  यदि  सम्मान  है  ,  तो  अपमान  का  दंश  भी  सहना  होता  है  l  '   आचार्य  श्री  ने  आगे  लिखा  है ---- "  जिस  तरह    रात्रि  को  हम  दिन  में  नहीं  बदल  सकते  ,  लेकिन  विद्युत  के माध्यम  से  बल्ब  जलाकर  अंधकार  को  दूर  कर  सकते  हैं  ,  उसी  तरह  हम  दुःख ,  कष्ट ,  पीड़ा ,  अपयश   आदि  के  आने  पर  इन्हें  तुरंत  दूर  नहीं  कर  सकते  ,  लेकिन  इन  परिस्थितियों  में    भगवदस्मरण   करते  हुए  शुभ  कर्म  कर  के    इनसे  लाभान्वित    भी  हो  सकते  हैं  l 
  जीवन  को  यदि  सही  मायने  में  समझना  है   तो  इस  संसार  के  नकारात्मक  व  कष्टदायी   दीखने  वाले  तत्वों  को  सकारात्मक  द्रष्टि  से  देखना  चाहिए   और  इनसे  भी  लाभान्वित  होना  चाहिए  ,  क्योंकि  ये  सभी  तत्व  जीवन  को  निखारते  व  सँवारते  हैं   l