21 December 2019

WISDOM -----

    दैवी  शक्तियों  में  आसुरी  शक्तियों  से  कहीं  ज्यादा  बल  होता  है   l  पर  उनकी  शिथिलता  एवं   अस्तव्यस्तता  ही  उनके  पिछड़  जाने  का  कारण   बनती  है  l   आसुरी  शक्तियां  वास्तव  में  बहुत  दुर्बल  हैं  ,  उनकी  सत्ता  बहुत  ही  क्षीण  है   l  पर  अपनी  चैतन्यता  और  तत्परता  के  कारण   वे  बहुत  जल्दी  बढ़  जाती  हैं   l   यही  तत्परता  जब  दैवी  शक्तियों  में   उत्पन्न  हो    जाती  है   तो  सहज  ही  इतनी  प्रबल  हो  जाती  है   कि   आसुरी  शक्तियों   को  सरलता पूर्वक  परास्त  कर  सके  l
  मनुष्य  के  भीतर  तथा  समस्त  संसार  में  दैवी  और  आसुरी  शक्तियों  की  सत्ताएं  काम  कर  रही  हैं   l   जब  कभी  असुरता  की  प्रबलता  हो  जाती  है   तो  चारों  ओर   अगणित  विपत्तियों  की  बाढ़  आ  जाती  है   l इसके  उपरांत  जब  दैवी  शक्तियां  प्रबल  होती  हैं   तो  सुख , शांति , समृद्धि , सफलता , सहयोग , सद्भावना ,  उल्लासमय  वातावरण   चारों  ओर   निखरा  पड़ा  दिखाई  देता  है  l   विवेकशील  व्यक्ति  को  यह  निश्चय  करना  चाहिए  कि   उसे  स्वर्ग  प्रिय  है  या  नरक   l   यदि  स्वर्गीय  परिस्थितियां  चाहिएं   तो  अपनी  दैवी  सम्पदाओं  को  बढ़ाना  चाहिए  l  उन्हें  इतना  समर्थ  बनाना  चाहिए  कि  आसुरी  शक्तियों  से  भली  प्रकार  टक्कर  ले  सकें   l   यदि  सौ   कौरवों  से  साधारण  श्रेणी  के  पांच  सिपाही  लड़ा  दिए  जाते    तो  वे  विजय  प्राप्त  नहीं  कर  सकते  थे   l   पांडवों  के  पास  समुचित  बल  था  ,  उसी  से  वे  उपयुक्त  टक्कर  ले  सके  और  विजयी  हुए   l    गीता  में  भगवान   ने  कहा  है   कि   अनीति  और  अत्याचार  के  विरुद्ध  पांडवों   का  कौरवों   से  युद्ध  अनिवार्य  था  l   यदि  यह  युद्ध  न  होता  तो  अनीति  और  अत्याचार  का  ही  आधिपत्य  हो  जाता   l
       रावण  सीता  का  अपहरण  कर  के  बड़ी  तीव्र  गति  से  चला  जा  रहा  था   l   सीता  हृदय विदारक  विलाप  कर  रहीं  थीं  l   यह  सब  घटना  मार्ग  में  जटायु  ने  देखीं  ,  उसका  हृदय  यह  सब  देखकर  व्याकुल  हुआ   और  वह  दुष्ट  को  दंड  देने  के  लिए  तत्पर  हो  गया   l   एक  झप्पटें   में  ही  महाबली  रावण  को  अस्त - व्यस्त  कर  दिया  ,  लेकिन  सशस्त्र  रावण  का  सामना  वह  वृद्ध  पक्षी  कहाँ  तक  करता   l   रावण  ने  अपने  खड्ग  से  जटायु  के  पर  काट  दिए  l   वृद्ध  जटायु  ने  अनीति  का  प्रतिरोध  करने  में  अपना  जीवन  मिटा  दिया  l