1 March 2019

WISDOM --- त्याग और बलिदान की सामर्थ्य

  बात    उन  दिनों  की  है  जब  वैशाली  महानगरी  में  राज्य - महोत्सव   के  कारण  उल्लास  का  वातावरण  था   l  राजा - प्रजा   सभी  विभिन्न  रंगों  में  डूबे  थे  l अचानक  महल  में   लगे  विशाल  घंटे  की   आवाज  ने  सबका  ध्यान   तोड़ा   l  राज परम्परा  के  अनुसार  घंटे  का  निरंतर  बजना  संकट  का  परिचायक  था  ,  जिसका  अर्थ   होता  था   कि  शत्रु  ने  आक्रमण  कर  दिया  l   राग - रंग  थम  गया  और  युद्ध  की  रणभेरी   गूंजने   लगी  l   शत्रु  की  विशाल  सेना  और  पूर्व   तैयारी    न  होने  से  वैशाली  के  सैनिकों  के  पैर  उखड़ने  लगे  l  वैशाली  नगर   शत्रु  सेना  के  कहर  से  चीत्कार  कर  उठा  l 
  नगर नायक  महायायन  कभी  अपनी  शूरवीरता  के  लिए  विख्यात  था  किन्तु  वृद्धावस्था  के  कारण  उसका  अपना  शरीर  भी  साथ  नहीं  दे  रहा  था  l  वह  परेशान  था  कि  क्या   हमारी  आँखों  के  सामने  ही  यह  अत्याचार  होता  रहेगा  ?   यह  सोचकर  वृद्ध  नायक  चल   पड़ा  शत्रु  सेनाध्यक्ष  से  मिलने  l  शत्रु  को  सामने  देखते  ही  वह  बोल  पड़ा  कि  -- '  इन  मासूमों  पर  अत्याचार  बंद  करो  l " 
 शत्रु  सेना नायक  ने  महायायन  के  सामने  एक  विचित्र  शर्त  रखी   कि   तुम  सामने बह  रही   नदी  में  जितनी  देर  डूबे  रहोगे  ,  हमारी  सेना  लूट- पाट  एवं  हत्या  बंद  रखेगी   l   शर्त  स्वीकार  कर  वृद्ध महायायन   तुरंत  नदी  में  कूद  पड़ा   l  वचन बद्ध  शत्रु  सेनानायक  ने   सेना  को  तब  तक  लूटमार  और  संहार  बंद   रखने   को  कहा  जब  तक  वृद्ध  का  सर  पानी  के  बाहर   न  दिखाई  न  पड़े  l
  शत्रु  सेनाध्यक्ष  और  उसकी  विशाल  सेना     प्रात:  से  शाम  तक  महायायन   के  बाहर  निकलने  की  प्रतीक्षा  करती  रही  ,  लेकिन  महायायन  पानी  में  डूबा  ही  रहा  l    आखिर  गोताखोरों  को   वृद्ध  का  पता  लगाने  को  कहा  l  लम्बी  खोजबीन  के  बाद  महायायन  का  मृत  शरीर  चट्टान  से  लिपटा  पाया  गया  l  उसने  दोनों  हाथों  से  चट्टान  को  मजबूती  से  पकड़े  ही  दम  तोड़  दिया  था  l  इस अनुपम  त्याग  और  बलिदान  को  देखकर  शत्रु  सेनानायक  का  ह्रदय  भी  द्रवित  हो  उठा  l 
  मानवता  के  इस  वृद्ध  पुजारी  के  समक्ष  अपनी  हार  स्वीकारते  हुए  उसने  सैनिकों  को  लूट  की  वस्तुएं  वापस  देने    तथा  अपने  राज्य   की  ओर  वापस  लौटने   का  आदेश  दिया   l