24 July 2018

WISDOM ---- हमें जीवन में विनम्रता को स्थान देना चाहिए , अहंकार को नहीं

   हमारे  धर्म ग्रंथों  का  एक  मूल मन्त्र  है  ----- जो  नम्र  होकर  झुकते  हैं  ,  वही  ऊपर   उठते  हैं  l   भारतीय  संस्कृति  में  इसी  विनम्रता  को  व्यक्त  करने  के  लिए   प्रणाम ,  अभिवादन  और  बड़ों  के  समक्ष  झुककर   आशीर्वाद  लेने  की  प्रथा  है   l  
   विनम्रता  न  केवल  हमारे    व्यक्तित्व  में  निखार  लाती  है  ,  बल्कि  कई बार  सफलता  का  कारण  भी  बनती  है   l 
महाभारत  के  युद्ध  के  बाद  धर्मराज   युधिष्ठिर   भीष्म  पितामह  के  पास  गए  ,  वे  बाणों  की  शैया  पर  थे   l  युधिष्ठिर  ने  विनम्रता पूर्वक   उनसे  धर्मोपदेश  देने  का  निवेदन  किया   l   भीष्म  पितामह  ने  कहा -----
    नदी  समुद्र  तक  पहुँचती  है  तो  अपने  साथ  पानी  के  अतिरिक्त  बड़े - बड़े  लम्बे   पेड़  साथ  ले  आती  है  l   एक  दिन  समुद्र  ने  नदी  से  पूछा   कि  तुम  पेड़ों  को  तो   अपने  प्रवाह  में  ले  आती  हो   परन्तु  कोमल  बेलों  और  नाजुक  पौधों  को   क्यों  नहीं  लाती  हो  ? 
  नदी  बोली  कि  जब - जब  पानी  का  बहाव  बढ़ता  है   तब  बेलें  झुक  जाती  हैं   और  झुककर  पानी  को  रास्ता  दे  देती  हैं   , इसलिए  वे  बच  जाती  हैं   l   जबकि  पेड़  तानकर  खड़े  रहते  हैं   इसलिए  अपना   अस्तित्व  खो  बैठते  हैं   l
भीष्म  ने  कहा   युधिष्ठिर  ठीक  वैसे  ही  ,  जो  जीवन  में  विनम्र  रहते  हैं  ,  उनका  अस्तित्व  कभी  समाप्त नहीं  होता   l