27 December 2012

मनुष्य के व्यकितत्व का निर्माण तभी होता है जब उसकी स्वाभाविक  प्रवृतियां एक लक्ष्य को द्रष्टि में रखकर व्यवस्थित की जाती हैं ।माँझी को यदि नदी के किनारे पहुंचने की इच्छा न हो तो नौका को चलाने की प्रेरणा कौन देगा ।

PATIENCE

सब्र ज़िन्दगी के मकसद का दरवाजा खोलता है ,क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाजे की कोई कुंजी नहीं है ।जो मनुष्य सुद्रढ़ता से धैर्य का आँचल थाम लेते हैं वे फिर जीवन के ऐसे गड्ढे में नहीं गिर सकते कि जहां से उठ ही न सकें ।