6 March 2019

WISDOM ---- पहले स्वयं उत्तम गुण ग्रहण करने चाहिए और तब वे गुण दूसरों को सिखाने चाहिए ---- समर्थ गुरु रामदास

 समर्थ  गुरु  रामदास  के  धर्म ग्रन्थ  ' दासबोध '  की  शिक्षाएं   औरंगजेब  के  शासनकाल  में   जैसी  लाभदायक    थीं  वैसी  ही  इस  अणुयुग  में    भी  सुख  और  शांति  प्राप्त  करने  में  सहायक  हो  सकती  हैं   l           समर्थ  गुरु  रामदास  ने  अपने   अनुयायिओं  को  उस  राजनीति  की  शिक्षा  दी  जो  विवेक , सूझ - बूझ  और  सावधानी  पर  आधारित  होती  है   l  उनका  कहना  है --- " जो  डरकर  पेड़  पर  चढ़  जाये   उसे  दम - दिलासा  देना  चाहिए   और  जो  लड़ने  को  तैयार  हो  उसे  धक्का  देकर  गिरा  देना  चाहिए  "  इसका  आशय  यह  है  कि   सांसारिक  व्यवहार  में  भी  हमको  अकारण  किसी  का  अहित  नहीं  करना  चाहिए  ,  यथासंभव  समझौते  और  मेल - मिलाप   की  नीति  से  काम  लेना  चाहिए  l  लड़ना  तभी  चाहिए  जब  कोई   नीच  और  स्वार्थी  व्यक्ति   दुष्टता  करने  पर  उतारू  हो  l 
  शिवाजी  महाराज  ने  इसी    नीति   पर    चलकर  महाराष्ट्र  में  संगठन  शक्ति  उत्पन्न  कर  दी  और   औरंगजेब  जैसे  साम्राज्यवादी  के  छक्के  छुड़ा  दिए  l  वे  कहते  थे  कि  अकारण  देश  में  अशांति  या  रक्तपात  की   स्थिति   उत्पन्न  करना  श्रेष्ठ  नीति  नहीं  है  l  वे  कहते  थे  कि--- " सच्ची  राजनीतिवही  है  जिसमे  दुष्टों  के  दमन  के  साथ   शिष्ट  व्यक्तियों  के  रक्षण  और  पालन  का  भी  पूरा  ध्यान  रखा  जाये   l  "