एक दिन क्रोध को बड़ा क्रोध आया उसने कहा -"यह संसार बड़ा ख़राब हो गया है ,इसे तहस -नहस कर डालूंगा और फिर एक नई तरह की दुनिया बनाऊंगा | "धीरे से शांति बोली -"बुरा न माने ,उसके लिये भी आपको धैर्य की आवश्यकता पड़ेगी | यदि अभी से आप धैर्य पूर्वक संसार को सुधारना शुरू कर दें तो नई स्रष्टि बनाने का परिश्रम ही क्यों करना पड़े ?"
12 May 2013
HRADY PARIVARTAN
पंडित लेखराम जी आर्य समाज के मूर्द्धन्य विद्वान् थे | वे गांव -गांव घूमा करते और वेद उपनिषद पर प्रवचन देते | एक बार एक गांव में पंडितजी का प्रवचन चल रहा था कि एक डाकू अपने साथियों के साथ उनका प्रवचन सुनने आकर बैठ गया | लेखराम जी कह रहे थे कि 'कर्म चाहे शुभ हों या अशुभ मनुष्य को उनका फल अवश्य भोगना पड़ता है ।'बात डाकू के ह्रदय में छू गई | प्रवचन समाप्त होते ही डाकू ने लेखराम जी से पूछा कि क्या कर्म का विधान इतना प्रबल है ?क्या मुझे सचमुच अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा ?लेखराम जी बोले कि कर्मफल का नियम शत -प्रतिशत सत्य है | जो कर्म तुमने किये हैं ,उनका परिणाम आज नहीं तो कल ,अवश्य भोगना पड़ेगा | डाकू बोला -"मैं तो लुटेरा हूँ ,मैंने न जाने कितनों को दर्द दिया ,तकलीफ पहुंचाई और कुकर्म किये | इनका परिणाम तो अशुभ ही होगा ?"पंडितजी बोले -"समय अभी हाथ से निकला नहीं है | तू ये सब छोड़ दे और धर्म का मार्ग पकड़ ले | "बस ,फिर क्या था ,डाकू ने उसी समय लेखराम जी से दीक्षा ली और तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ा |
जो कार्य पुलिस और कानून का डर न करा सका ,वेदों के वचन और महापुरुष के सत्संग से क्षण भर में संपन्न हो गया |
जो कार्य पुलिस और कानून का डर न करा सका ,वेदों के वचन और महापुरुष के सत्संग से क्षण भर में संपन्न हो गया |
FEELINGS
भाव -श्रद्धा ही उपासना को सार्थक बनाती है ,कर्मकांड के क्रियाकलाप नहीं | जिसने अपनी भावनाओं को बिखरने नहीं दिया और उनको उत्कृष्टता की दिशा में केन्द्रित कर दिया वही भक्त है ,उसी की भक्ति में शक्ति है |
एक यहूदी अनपढ़ था और ग्रामीण भी | किसी ने उसे बता दिया कि जिस दिन प्रायश्चित पर्व हो ,उस दिन खूब अच्छा अच्छा खाना चाहिये और मिले तो शराब भी पीनी चाहिये | जब अगला प्रायश्चित पर्व आया तो एक दिन पूर्व ही उसने खूब डटकर खाया ,शराब पी और नशे में धुत हो गया |
जब सुबह नींद टूटी तो उसने देखा कि उसका साथी तो प्रायश्चित पर्व की लगभग आधी प्रार्थना पूरी कर चुका है ,उसे तो एक भी मंत्र याद न था | उसे अपने आप पर भारी ग्लानि हुई |
सबको प्रार्थना करते देखकर वह वहीं बैठ गया और वर्णमाला के अक्षरों का ही पाठ करता हुआ भावना करने लगा -हे प्रभु !मुझे तो कोई मंत्र याद नहीं ,इन अक्षरों को जोड़कर तुम्ही मंत्र बना लेना | मैं तो तुम्हारा दास हूं ,पूजा के लिये नये भाव कहां से लाऊं ?जब तक दूसरे लोग प्रार्थना करते रहे ,वह ऐसे ही भगवान का ध्यान करता रहा | सायंकाल जब वे दोनों सामूहिक प्रार्थना में सम्मिलित हुए तो धर्मगुरु रबी ने उस ग्रामीण भक्त को अग्र -पंक्ति में रखा | यह देखकर उसके साथी ने आपति की -श्रीमानजी !इसे तो मंत्र भी अच्छी तरह याद नहीं | धर्मगुरु रबी ने कहा -"तो क्या हुआ ,इनके पास शब्द नहीं ,भाव तो हैं | भगवान तो भाव के भूखे हैं ,मंत्र तो हमारे तुम्हारे लिये हैं | "
एक यहूदी अनपढ़ था और ग्रामीण भी | किसी ने उसे बता दिया कि जिस दिन प्रायश्चित पर्व हो ,उस दिन खूब अच्छा अच्छा खाना चाहिये और मिले तो शराब भी पीनी चाहिये | जब अगला प्रायश्चित पर्व आया तो एक दिन पूर्व ही उसने खूब डटकर खाया ,शराब पी और नशे में धुत हो गया |
जब सुबह नींद टूटी तो उसने देखा कि उसका साथी तो प्रायश्चित पर्व की लगभग आधी प्रार्थना पूरी कर चुका है ,उसे तो एक भी मंत्र याद न था | उसे अपने आप पर भारी ग्लानि हुई |
सबको प्रार्थना करते देखकर वह वहीं बैठ गया और वर्णमाला के अक्षरों का ही पाठ करता हुआ भावना करने लगा -हे प्रभु !मुझे तो कोई मंत्र याद नहीं ,इन अक्षरों को जोड़कर तुम्ही मंत्र बना लेना | मैं तो तुम्हारा दास हूं ,पूजा के लिये नये भाव कहां से लाऊं ?जब तक दूसरे लोग प्रार्थना करते रहे ,वह ऐसे ही भगवान का ध्यान करता रहा | सायंकाल जब वे दोनों सामूहिक प्रार्थना में सम्मिलित हुए तो धर्मगुरु रबी ने उस ग्रामीण भक्त को अग्र -पंक्ति में रखा | यह देखकर उसके साथी ने आपति की -श्रीमानजी !इसे तो मंत्र भी अच्छी तरह याद नहीं | धर्मगुरु रबी ने कहा -"तो क्या हुआ ,इनके पास शब्द नहीं ,भाव तो हैं | भगवान तो भाव के भूखे हैं ,मंत्र तो हमारे तुम्हारे लिये हैं | "
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