24 January 2022

WISDOM -----

   विश्व  युद्ध ,  विभिन्न  देशों  के  बीच  समय - समय  पर  होने  वाले  युद्ध ,  दंगे ,  विभाजन  जैसी  त्रासदी  --यह  सब  मनुष्य  के  ही  अहंकार , स्वार्थ ,  अति महत्वाकांक्षा ,  'स्वयं  को  सर्वश्रेष्ठ  समझना  जैसी  मानसिक  दुष्प्रवृतियों  का  ही  दुष्परिणाम  थे  l   ऐसी  घटनाओं  में  सबसे  दुःखद   बात  यह  होती  है  कि  कितने  ही  बच्चे  जिन्होंने  बोलना , खड़े  होना  ही  नहीं  सीखा  , वे  बिना  वजह  मारे  जाते  है  ,  कुछ  माँ  के  गर्भ  से  बाहर  आने  को  ही  तरस  जाते  हैं ,   अचानक  ही  धरती  पर  अनाथों , अपाहिजों ,  विधवाओं ,  और  बेसहारा  लोगों  की  संख्या  बढ़  जाती  है  ,  धरती  लाशों  से  पट  जाती  है  l   बेवजह  हुई  ऐसी  त्रासदी  से  धरती  तो  बोझिल  होती  है , वायुमंडल  भी  जख्मी  हो  जाता  है  l  इसके  दुष्परिणाम  केवल  वर्तमान  पीढ़ी  ही  नहीं ,  भावी  पीढ़ियाँ   भी  झेलती  हैं  l   इसी  कारण  वातावरण  को   परिष्कृत करने  के  लिए  भगवान  राम  ने  लंका  विजय  के  उपरांत  राजसूय  यज्ञ  कराया  l   महाभारत  के  युद्ध  के  बाद  धर्मराज युधिष्ठिर  ने  भी  राजसूय  यज्ञ  कराया  l   भारत  के  प्राचीन  इतिहास  में  ऐसे  यज्ञ  कराने   के  अनेक  उदाहरण  हैं   l  इन  यज्ञों  का  उद्देश्य  यही  था  कि   ऐसी  विभीषिका  से  वातावरण  में  जो  नकारात्मकता  भर  गई  है   उसे  दूर  किया  जाये  l   लेकिन  वर्तमान   युग  में  जब   भौतिक  प्रगति , समृद्धि  को  ही  सब  कुछ  माना   जाता  है  ,  अब  संवेदना  नहीं  है  l    पद   पाने  की , धन  कमाने  की  ,   अपनी    महत्वाकांक्षाओं  की  पूर्ति  की  भागदौड़  है  l   जब  जीवन  का  लक्ष्य  ही  स्वार्थ  है   तो  युद्ध  हो  या  न  हो   ,  शांति  नहीं  होगी  l