11 October 2017

WISDOM ------- जनचेतना ---- जन - सेना

  बात  उन  दिनों  की  है  जब  भारत  में  अंग्रेजों  का  शासन  था  l  प्रथम  विश्व युद्ध  जोरों  पर  था   और  अंग्रेजों  को  लड़ने  के  लिए  लाखों  सैनिकों  की  जरुरत  थी  l   उन्होंने  भारतीय  राजाओं  से   सेना  लेने  का  निश्चय  किया  l  इस  सिलसिले  में  उनका  प्रतिनिधि  ' रेजिडेंट '  जैसलमेर   राज्य  में  आया  l  वह  यहाँ  के  महाराजा  जवाहर  सिंह  के  नाम  वायसराय  का  पात्र  भी  लाया  था  , जिसमे  जैसलमेर  की  सेना  को   ब्रिटिश  सेना  में  शामिल  करने  का  अनुरोध  था  l  राजा  ने  रेजिडेंट  का  भव्य  स्वागत  किया  और  कहा  कि  जैसलमेर  राज्य  में  कोई  नियमित  सेना  नहीं  है , अत:  वे  उनकी  सेवा  में  सैनिक  देने  में  असमर्थ
 हैं  l   रेजिडेंट  हंसा  और  बोला  आप  हमें  बेवकूफ  नहीं  बना  सकते  ,  बिना  सेना  के  कोई  शासन  चलता  है  क्या  ? 
   राजा  ने  कहा ---- हमारी  आर्थिक  स्थिति  ऐसी  नहीं  है  कि  हम  सेना  का  बोझ  उठा  सकें  l  हमारी  जनता  ही  हमारी  सेना  है  ,  इसके  आत्मबल  से  ही  हम  हर  तरह  के  खतरे  का  मुकाबला  कर  सकते  हैं   l    अंग्रेज  रेजिडेंट  को  इन   बातों   का  जरा  भी  विश्वास  नहीं  हुआ ,  उसने  कहा  कि   यहाँ  की  आबादी  के  हिसाब  से   पांच  हजार  सैनिक  तो  साथ  ले  ही  जाने  हैं   l  महाराजा  ने  भी  समझा  कि  अब  बातों  से  काम  न  चलेगा  कुछ  करना  पड़ेगा  l  अत:  उन्होंने  कहा ,--- ठीक  है  l  कल  सुबह  आप  मेरी  सेना  देख  लेना  l  उसी   दिन  राजा  ने  अपने  घुड़सवार ,  ऊंट सवार  गाँव - गाँव  में  भेज  दिए  और  यह  कहलवा  दिया  कि   15  से  45  वर्ष  के  सभी  आदमी   सूरज  उगने  से  पहले  जैसलमेर  पहुँच  जाएँ   और  जिसके  पास  जो  भी  हथियार   है , साथ  लेता   आये  और   घोडा , ऊंट , बैलगाड़ी   जो  भी  वाहन  उपलब्ध  हो , लेकर  आये  l
  आदेश  हवा  के  साथ  सारे  राज्य  में   फैल   गया  l  खेत , खलिहान , मजदूर,  पत्थर  तोड़ता ,  गड्ढे  खोदता ---- जो  जैसा  था   तुरंत  शहर  की  ओर  रवाना  हो  गया   l
 अंग्रेज  रेजिडेंट  अपने  शयनकक्ष  में  सोया  हुआ  था  l    ऊंट ,  घोड़े  , बैलों  की  आवाजें ,  कण  फोड़  देने  वाला  शोर  सुनकर  उसकी  नींद  उचट  गई  , वह  उठ  कर  छत  पर  गया  l  वहां  राजा  पहले  से  ही  बैठे  थे  ,  उन्होंने  कहा  ,  आइये ,  देखो   यह  है  हमारी  सेना  l  रेजिडेंट  आँखे  फाड़  कर  देख  रहा  था  --- आसमान  तक  छाई  हुई  धूल  l   लोग  कमर  कसे    लाठी , डंडे ,  भाले ,  बंदूक,  तलवार , तीरकमान  लिए   आ  रहे  हैं  l  ऊंट , घोड़े , बैलगाड़ियों  का  हुजूम  हैं   l   महाराजा  ने  कहा  --- ये  है  हमारी  सेना ,  एक  रात  में  ही   ये  सभी  आ  पहुंचे  हैं  l   हम  सबको  अपनी  मिटटी  से  प्रेम  है  l  हमारी  स्वतंत्रता  पर  जब  आंच  आती  है  , तब  सारी  जनता  बलिदान  के  लिए  तुरंत  तैयार   है  l  जहाँ  जनता  बलिदान  देने  को  तैयार  हो  वहां  कौन  सा  खतरा  टिक  सकता  है   l   
  रेजिडेंट  आश्चर्य चकित  होकर  देखता  रह  गया   l  उसने  कहा   ऐसी  जन चेतना  जब   पूरे  भारत  की  राष्ट्रिय  चेतना  बन  जाएगी  तो  कोई  भी  विदेशी  ताकत   इसे  अपनी  गिरफ्त  में  नहीं  रख  सकेगी  और  तब  भारत  विश्व  का  सिरमौर  होगा  l