1 . हातिम परदेश जाने लगे तो अपनी पत्नी से पूछ बैठे --- 'तुम्हारे लिए खाने -पीने का कितना सामान रख जाऊं ? " पत्नी ने हँसते हुए कहा --- " जितनी मेरी आयु हो l " हातिम ने कहा --- ' तुम्हारी आयु जानना मेरे बस की बात नहीं है l " पत्नी ने कहा --- " तब तो मेरी रोटी का इंतजाम भी आपके बूते की बात नहीं है l यह काम जिसका है , उसी को करने दीजिए l " पत्नी का ईश्वर पर विश्वास से मुग्ध होकर हातिम परदेश चले गए l एक दिन एक पड़ोसन ने पूछा ---- " बेटी ! हातिम तेरे लिए क्या इंतजाम कर गए हैं ? ' हातिम की पत्नी ने कहा --- " मेरे पति क्या इन्तजाम करेंगे वे तो खाने वाले थे l खाना देने वाला तो अब भी यहीं है l " ईश्वर विश्वासी को किसी का आश्रय आवश्यक नहीं है l