16 December 2019

WISDOM ----

  ' पुण्यात्मा  के  संग  से  भले  ही  पापी  में  परिवर्तन  न  आये  ,  पर  पापी  की  घनिष्टता   आग  की  तरह  जलाए   बिना  नहीं  रहती  l  '
  इतिहास  में  ऐसे  अनेकों  उदाहरण  हैं   जो  यह  बताते  हैं  कि  दु;संग  होने  से  कैसे   व्यक्ति    का  पतन  हो  जाता  है   l   दुर्योधन  को  शकुनि  मामा   का  साथ  मिला  ,  पूरा  जीवन  वह  उनके  साथ  मिलकर  पांडवों  के  विरुद्ध  षड्यंत्र  रचता  रहा  l   अंत  में  कौरव  वंश  का  सम्पूर्ण  नाश  हो  गया  l
  कर्ण    सूर्यपुत्र  था ,  जन्मसे  ही  उसके  शरीर  पर  कवच - कुण्डल  थे ,  वह  महादानी  और  महा  वीर    था  l   लेकिन  उसकी  मित्रता  दुर्योधन  से  थी  l   सत्य , नीति   और  धर्म  का  उसे  पूर्ण  ज्ञान  था  लेकिन  फिर  भी  उसने   द्रोपदी का  चीर  हरण ,  अभिमन्यु  वध  आदि  अनेक   अवसरों  पर   दुर्योधन  की  अनीति  का  साथ  दिया  l  यही  कारण   था  कि   उसे  ईश्वर  की  कृपा  नहीं  मिली  और  अर्जुन  के  हाथों  उसका  वध  हुआ  l    इसी  तरह  गंगा पुत्र  भीष्म     अनीति  व  अत्याचार  देखकर  भी  मौन  रहे  ,  उन्हें  तो  इच्छा  मृत्यु  का  वरदान  था  ,  फिर  भी  उन्हें  अर्जुन  के  हाथों  पराजित  होना  पड़ा   और  शर - शैया  पर  छह  माह  तक  लेटे    रहने  का  कष्ट  उठाना  पड़ा  l
हमारे  आचार्य ,  ऋषियों  आदि  का  कहना  है   अत्याचार  व  अनीति  देखकर  मौन  रहना  ,  अनदेखी  करना   भी  अत्याचार  ही  है  l   जिनके  भीतर  विवेक  है   वे  अत्याचारी  का  साथ  नहीं  देते  l   जैसे  विभीषण  ने  रावण  को  त्याग  दिया ,  भक्त  प्रह्लाद  ने   अनेकों  कष्ट  सहे  लेकिन  अपने  पिता  हिरण्यकशिपु  की  सत्ता  को  नहीं  स्वीकार   किया  l
हमारे  धर्म  ग्रन्थ  हमें  जीवन  जीना  सिखाते  हैं   l  हम  अर्जुन  की  तरह  बने  l   ईश्वर  की  नारायणी  सेना  चुनने  के  बजाय   ईश्वर  को  ही  चुने  l   ईश्वर  की  कृपा  से  ही  व्यक्ति  संसार  में  सफल  होता  है  l