29 May 2022

WISDOM --------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' अपनी  अंतरात्मा  का  पूर्ण  रूप  से  सम्मान  करना  सीखो , क्योंकि  तुम्हारे  ह्रदय  के  द्वारा  ही  वह  उजाला  मिलता  है  ,  जो  जीवन  को  आलोकित  कर  सकता  है   l  रोजमर्रा  की  जिन्दगी  में   यदि  सबसे  ज्यादा  किसी  की  उपेक्षा  होती  है  ,  तो   अंतरात्मा  की  l   इन्द्रिय  लालसाओं  को  पूरा  करने  का  लालच   मनुष्य  को   उसकी  अंतरात्मा   से  दूर  कर  देता  है  l   जीवन  का  ढंग  बदले  बिना , अंतरात्मा  का  सम्मान  किए  बिना  ,  अंतरात्मा  की  वाणी  सुनाई  नहीं  देती  है   l  "------ एक  कथा  है ----- सूफी  दरवेश  अमिरुल्लाह   बड़े  पहुंचे  हुए  फ़क़ीर  थे   l  एक  युवक  उनके  पास  शिष्य  होने  की  इच्छा  से  गया   l  तो  उन्होंने  कहा ---  पहले    तुम  शिष्य  की  जिन्दगी  का  ढंग  सीखो   l   युवक  के  जिज्ञासा  करने  पर  उन्होंने  कहा ----- ' बेटा  !  शिष्य  अपनी  अंतरात्मा  का  सम्मान  करना    जानता  है   l  वह  इन्द्रिय  लालसाओं  के  लिए ,   थोड़े  से  स्वार्थ  के  लिए    या  फिर  अहंकार  की  झूठी  शान  के  लिए   अपना  सौदा  नहीं  करता   l  दुनिया  का  आम  इन्सान   दुनिया  के  सामने  झूठी , नकली   जिन्दगी  जीता  है   l  वह   समाज  के  डर  की  वजह  से   , समाज  में  अपने  अच्छे  होने  का  नाटक  करता  है  ,  परन्तु  समाज  की  ओट  में  ,  चोरी  छिपे  अनेकों    बुरे   काम  करता   है  l   अपने  मन  में  बुरे  खयालों  और  ख्वाबों  में  रस  लेता  है   l  जबकि  खुदा  का  नेक  बंदा   कभी  ऐसा  नहीं  करता   क्योंकि  वह  जानता  है   कि  खुदा  सड़कों  और   चौराहों  में  भी  है ,  कमरे  की  बंद  दीवारों  के  भीतर  ही  है  l  यहाँ  तक  कि अंतर्मन  के  दायरों    में  भी  उसकी  उपस्थिति  है   l   इसलिए  सच्चा  शिष्य  अपने  कर्म , विचार   और  भावनाओं  में   पाक -साफ  होकर  जीता  है   l   '    आज  के  समय  में  जब  देश  में   हजारों   बाबा , वैरागी  हैं   और  उनके  लाखों  शिष्य  है   तो  इस  कथा  के   आधार  पर  उनके  सत्य  को  परखने  की  जरुरत  है    क्योंकि  इसी  में  इस   प्रश्न  का  उत्तर  छिपा  है  कि  संसार  में  इतनी  अशांति   और  लोगों  के  जीवन  में  इतना  तनाव  क्यों  है   ?