25 April 2013

'सोये आत्मविश्वास को जगाना ही सफलता का मूल मंत्र एवं गुप्त रहस्य है '

                     इंग्लैंड के मिस्टर कौबडैन एक बार व्याख्यान देने खड़े हुए लेकिन एक शब्द भी नहीं बोल पाये | लोग खिलखिला कर हँसने लगे और उन्हें स्टेज से नीचे उतार दिया गया | उन्होंने एक शब्द भी न बोल पाने के लिये सभापति से क्षमा मांगी और कोने में दुबके अपनी असफलता पर आँसू बहाने लगे |
                    लेकिन दूसरे ही क्षण उनने हिम्मत बांधी ,आत्मविश्वास जगाया ,स्वयं से कहा -उठ फिर प्रयत्न कर ,सफलता तो पुरुषार्थी की चरणदासी है ,आज नहीं तो कल सही ,हिम्मत न हार |
         कौबडैन फिर से पढ़ने लगे | एक -एक विषय के सैकड़ों द्रष्टान्त और आंकड़े उसने रट लिये | एकांत में अभ्यास ,मित्रों में अभ्यास ,छोटी -छोटी पार्टियों और क्लबों में अभ्यास करते -करते वह एक दिन इंग्लैंड का सर्वश्रेष्ठ वक्ता बन बैठा |  

SELF CONFIDENCE

आत्मविश्वास का अर्थ है -स्वयं पर विश्वास ,स्वयं के अस्तित्व पर विश्वास | जो | ,स्वयं पर विश्वास करता है वह ईश्वरपर भी विश्वास करता है | आत्मविश्वास साहस का पर्याय है ,जो रग -रग में दौड़ता है | यह अंतर की पुलकन है ,आँखों की चमक तथा अधरों की मुस्कान है | यह वह जादुई अदभुत शक्ति है ,जो भीषण कठिनाइयों का सामना सरलता से कर लेती है |
आत्मविश्वास पथ की विध्न -बाधाओं को दूर करने का एक महामंत्र है | इसमें कठिनाइयों के विशाल पर्वतों को लाँघ जाने की अपार क्षमता होती है | आत्मविश्वास जब अंतर में उमगता है ,तो शक्ति और सामर्थ्य दोगुनी हो जाती है | जिसका विश्वास प्रखर होता है उसे परिस्थितियां झुका नहीं पातीं | अंतर में विश्वास की मशाल जलाने वाला हर असफलता से सीख लेता है एवं दूने उत्साह के साथ जुट जाता है | उसके अंदर साहस का दावानल धधकता है ,जिसकी लपटों में हताशा -निराशा वाष्प बनकर उड़ जाती है | ऐसे व्यक्ति कभी परास्त नहीं होते ,उनकी हार भी जीत के साथ लिखी जाती है |
            सफलता पाने के लिये अंदर के आत्मविश्वास को जगाना आवश्यक है यह एक दैवी विभूति है ,इसी के द्वारा ही ऋद्धि -सिद्धियों की अपार संपदा अर्जित की जा सकती है | 

SELF IMPORTANCE

मनुष्य स्रष्टि का सबसे समुन्नत ,ईश्वरीय शक्तियों से भरा हुआ ,असीम शक्तियों को धारण किये हुए सबसे शक्तिशाली प्राणी है | बुद्धि और ज्ञान इसके मुख्य गुण हैं ,जिनके बल पर यह संसार के सब प्राणियों का सम्राट है | इस सत्य का ज्ञान जिसे हो जाये वह मनुष्य श्रेष्ठतम कर्तव्य पथ पर चलता है |
जिसने अपने को जितना मूल्यवान समझा संसार से उसका उतना ही मूल्य प्राप्त हुआ | हमें उतना ही सम्मान ,यश प्रतिष्ठा ,प्रसिद्धि प्राप्त होती है ,जितना कि हम स्वयं अपने व्यक्तित्व का लगाते हैं |
मनुष्य के मन में ऐसी अदभुत गुप्त चमत्कारी शक्तियां दबी पड़ी रहती हैं कि वह जिन गुणों का चिंतन करता है ,गुप्त रूप से वे दिव्य गुण उसके चरित्र में बढ़ते और पनपते रहते हैं |
आत्म निरीक्षण द्वारा अपने चरित्र का वह दैवी विशिष्ट गुण आप मालुम कर सकते हैं और अभ्यास ,साधना ,चिंतन द्वारा उसे विकसित कर संसार को आश्चर्य में डाल सकते हैं | हो सकता है आप में किसी महान आत्मा का निवास हो "