1 September 2022

WISDOM -----

   एक  संत  ने  एक  विद्यालय  प्रारम्भ  किया  , जिसका  उद्देश्य  था ---संस्कारी  युवक -युवतियों  का  निर्माण l  एक  दिन  उन्होंने  अपने  विद्यालय  में  एक  वाद -विवाद  प्रतियोगिता  का  आयोजन  किया  , जिसका  शीर्षक  था  --- ' प्राणिमात्र  की  सेवा  l ' निर्धारित  दिन  वाद -विवाद  प्रतियोगिता   प्रारंभ  हुई  , जिसमे  बोलने  के  लिए  कई  विद्यार्थी  मंच  पर  आए  और  एक  से  बढ़कर  उदबोधन  दिया  ,  परन्तु  जब  पुरस्कार  देने  का  समय  आया   तो  संत  ने  पुरस्कार  एक  ऐसे  विद्यार्थी  को  दिया  ,  जो  प्रतियोगिता  में  सम्मिलित  ही  नहीं  हुआ  था  l   यह  देखकर  विद्यार्थियों  में  और  कुछ  सदस्यों  में   रोष  के  स्वर  उठने  लगे  l  उन्हें  शांत  कराते  हुए  संत  बोले --- " प्यारे  मित्रों  और  विद्यार्थियों  ! इस  प्रतियोगिता  स्थल  के  द्वार  पर  मैंने  एक  घायल  बिल्ली  को  रख  दिया  था  l  तुम  सभी  उस  द्वार  से  अन्दर  आए  ,  पर  किसी  ने  उस  बिल्ली  की  ओर  आँख  उठाकर  भी  नहीं  देखा  l  यही  छात्र  एकमात्र  ऐसा  था  , जिसने  वहां  रूककर  उसका  उपचार  किया  और  उसे  सुरक्षित  स्थान  पर  छोड़  आया  l   सेवा -सहायता  भाषण  का  विषय  नहीं  है  ,  जीवन  जीने  की  कला  है  l  जो  अपने  आचरण  से  शिक्षा  न  देता  हो  ,  उसके  वक्तव्य  कितने  ही  प्रभावी  क्यों  न  हों  ,  वे  पुरस्कार  पाने  के  योग्य  नहीं  हैं  l "  सत्य  का  पता  चलते  ही  रुष्ट  विद्यार्थियों  और  शिक्षकों  की  गरदन  शरम  से  नीची  हो  गई   और  वे  पुरस्कृत  विद्यार्थी  के  व्यवहार  के  प्रति  नतमस्तक  हो  गए  l