15 June 2013

ART IS TRUTH, AND TRUTH IS RELIGION

महात्मा भगवान दीन की सभा में यदि कभी लोग ताली बजा देते तो वे बड़े उदास हो जाते | सोचते कहीं कोई असत्य बात मुँह से निकल गई ?एक बार वे 'सत्य 'पर ही बोल रहे थे | लोगों ने तालियाँ बजाई | वे थोड़ी देर रुके ,चारों ओर देखा पुन:बोलने लगे | थोड़ी देर बाद लोगों ने फिर तालियाँ बजाई | वे फिर रुके और बोले -"मेरे द्वारा सत्य के विषय में कही जा रही बातों से आप सब सहमत होकर ही ताली बजा रहें ?भीड़ एक स्वर में चिल्लाई --हाँ | उन्होंने दूसरा प्रश्न किया -"तब वे लोग हाथ ऊपर उठायें जो सत्य आचरण भी करते हैं | "अब सब लोग एक दूसरे का मुँह देखने लगे | महात्मा बोले -"ताली बजाने से पूर्व यह बात सोचनी चाहिये थी कि सत्य बोलना और सुनना ही पर्याप्त नहीं है ,आचरण में भी उतारा जाना चाहिये | "


AMAZEMENT

युगों पहले यक्ष ने युधिष्ठिर से यह सवाल पूछा था कि -'सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?'धर्म का मर्म जानने वाले युधिष्ठिर ने इस सवाल के उत्तर में यक्ष से कहा था -"हजारों लोगों को रोज मरते हुए देखकर भी अपनी मौत से अनजान बने रहना ,खुद को मौत से मुक्त मान लेना ,जीते रहने की लालसा में अनेको दुष्कर्म करते रहना ही सबसे बड़ा आश्चर्य है | "
अनेकों शव यात्राएँ रोज निकलती हैं ,ढेरों लोग इनमे शामिल भी होते हैं | इसके बावजूद भी वे अपनी शव यात्रा की कल्पना नहीं कर पाते | काश !अपनी मौत के कदमों की आहट सुनी जा सके तो निश्चित ही जीवन द्रष्टि संसार से हटकर सत्य पर केन्द्रित हो सकती है |

          दार्शनिक च्वान्गत्से को रात्रि के समय कब्रिस्तान से होकर गुजरते समय पैर में ठोकर लगी ,टटोल कर देखा तो किसी मुर्दे की खोपड़ी थी | उठाकर उनने उसे झोली में रख लिया और सदा साथ रखने लगे | शिष्य ने उनसे पूछा -यह इतना गंदा और कुरूप है ,इसे आप साथ क्यों रखते हो ?च्वान्गत्से ने उत्तर दिया -"यह मेरे दिमाग का तनाव दूर करने की अच्छी दवा है | जब अहंकार का आवेश चढ़ता है ,लालच सताता है ,तो इस खोपड़ी को गौर से देखता हूँ | कल परसों अपनी भी ऐसी ही दुर्गति होगी तो अहंकार और लालच किसका किया जाये ?"