' अनाचारी पागलपन की हरकतों को चुपचाप सहते रहने से दुष्ट की उन्मत्तता भड़कती है l इन कृत्यों के प्रति उदासीनता आग में घी का काम करती है l अक्सर देखा यही गया है की अच्छे - अच्छे लोग भी ऐसे अवसरों पर बिगाड़ के भय से कुकर्मी का तिरस्कार नहीं करते चाहे मन में उसके प्रति कितनी ही घ्रणा क्यों न हो l बुराइयों की आग उपेक्षा के ईंधन से भड़कती है और उसकी लपटें सारे मानव समाज को झुलसकर रख देती हैं l '
12 April 2018
कायरता समाज का कलंक है
' जब कोई पापी किसी मर्यादा की रेखा का उल्लंघन कर उदाहरण बन जाता है , तब अनेकों को उसका उल्लंघन करने में अधिक संकोच नहीं रहता l '
जब सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया तब ईर्ष्या - द्वेष में अन्धे होकर तक्षशिला के राजा आम्भीक ने देशद्रोह कर सिकन्दर से मित्रता कर ली l आम्भीक की देखा - देखी अनेक राजा देशद्रोही हो गए l महाराज पुरु को छोड़कर लगभग सारे राजा या तो हारकर मिट चुके थे अथवा देशद्रोह कर के सिकन्दर के झंडे के नीचे आ चुके थे l यह भारत के गौरव में कलंक था l
जब सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया तब ईर्ष्या - द्वेष में अन्धे होकर तक्षशिला के राजा आम्भीक ने देशद्रोह कर सिकन्दर से मित्रता कर ली l आम्भीक की देखा - देखी अनेक राजा देशद्रोही हो गए l महाराज पुरु को छोड़कर लगभग सारे राजा या तो हारकर मिट चुके थे अथवा देशद्रोह कर के सिकन्दर के झंडे के नीचे आ चुके थे l यह भारत के गौरव में कलंक था l
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