18 August 2022

WISDOM -----

      पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ------ "  कायरता  मनुष्य  का  बहुत  बड़ा  कलंक   है   l   कायर  व्यक्ति  ही  संसार  में  अन्याय , अत्याचार  तथा  अनीति  को  आमंत्रित   किया  करते  हैं  l  संसार  के  समस्त  उत्पीड़न  का   उत्तरदायित्व   कायरों  पर  है  l   "      कायरता  इस  सीमा  तक  है   कि    युद्ध  में  वीरता  के  नाम  पर  संसार  में     युद्ध   की  आड़  में  महिलाओं  पर  अत्याचार  सर्वाधिक  होते  हैं   l  पुरुष  को  सबसे  ज्यादा  भय  महिलाओं  से  है   कि   कहीं  उनका  व्यक्तित्व   पुरुष  से  प्रखर  न  हो  जाये ,  कहीं  महिलाएं   योग्यता  में , विचारों  में  पुरुष  से  आगे  न  हो  जाएँ  ,-----   पुरुषों  के   इस   भय  के  कारण  ही  परिवारों  में  , विभिन्न  संस्थाओं  में   , समाज  में  महिलाओं  को  शोषण , उत्पीड़न  का  सामना  करना  पड़ता  है   l   जब  तक   महिलाओं  के  हित  में  कानून  नहीं  थे  तब  तक   उन  पर  अत्याचार  खुलेआम  होते  थे ,  सती -प्रथा ,  बाल -विवाह ,  विधवाओं  की  दयनीय  स्थिति  --- इतिहास  के  पन्ने    इन  आंकड़ों  और  आहों  से  भरे  हुए  हैं   l  हर  जाति , हर  धर्म  ने  महिलाओं  को  सताया  है  ,  सबके  तरीके  अलग -अलग  हैं  l   अब  महिलाओं  के  हित  में  अनेक  कानून  बन  गए ,  लेकिन  कानून  बन  जाने  से  मानसिकता  नहीं  बदलती   l    पुरानी  आदतें  छूटती  नहीं  हैं ,  पीढ़ी -दर -पीढ़ी  संस्कार  रूप  में  आती  हैं   l    मानसिकता  वही  है  अत्याचार   करने  की   , उत्पीड़ित  करने  की    लेकिन  अब  इस  आधुनिक  समाज  में  स्वयं  को   सभ्य  , सुसंस्कृत    और  सज्जन  पुरुष  दिखाने  की  होड़  है   l  कहते  हैं   अच्छाई  में  गजब  का  आकर्षण  होता  है    इसलिए  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति  भी   अच्छाई  का  मुखौटा  लगाकर  घूमता  है    l  इस  मुखौटे  ने  उनकी  वीरता  को  छीन  लिया   ,  अब  महिलाओं  को  सताने  के  लिए  छल -कपट , षड्यंत्र ,  धोखा , फरेब  ----- आदि  अनेक  तरीकों  का  इस्तेमाल  होता  है  ,    सूचना    तंत्र  के  आविष्कारों   ने   इसे  और  भी  अधिक  सरल  बना  दिया  है  l   फिर  तंत्र -मन्त्र ,  काला  जादू  आदि  को  चाहे  कानून  मान्यता  न  दे    लेकिन    असंख्य    बाबा -वैरागी  इसी  की    दम  पर   पूरे  संसार  में  हैं   l    समस्या  तो  बहुत  विकट  है  ,  इसका  समाधान  पुरुष  के  हाथ  में  है   l   स्थान -स्थान  पर  पुरुषों  के  सुधार  के  कैम्प  लगने  चाहिए   l  यदि  आने  वाली  पीढ़ियों  को   आदर्श   चाहते  हैं   तो  स्वयं  अच्छे  बनों  ,  विचारों  से  भी  और  आचरण  से  भी   l  क्योंकि  बच्चे  अपने  माता -पिता  का  ही  प्रतिरूप  होते  हैं  ,  बबूल  के  पेड़  में  कभी  आम  नहीं  लगता   l