18 October 2021

WISDOM------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- ' क्रोध  एक  ऐसा  विष  है  ,  जो  मनुष्य  के   चिंतन  और  व्यक्तित्व  को  विषाक्तता  में  बदल  देता  है   l   क्रोध  करने  पर    हित   अनहित  में ,   शुभ    अशुभ  में ,  शांति     अशांति  में ,   हिंसा  अहिंसा  में  ,  परमार्थ  स्वार्थ  में  ,  विनम्रता  अहंकार  में ,      बदल  जाता  है   l   क्रोध  एक  ऐसे  विकार  के  रूप  में  है     जो  कई  तरह  की  बीमारियों   को  जन्म  देता  है   l    चिकित्सकों  के  अनुसार   कैंसर ,  उच्च  रक्त चाप  , सिरदर्द   और  मानसिक  रोगों  की  एक  मुख्य     वजह  क्रोध  ही  है   l   क्रोध  एक  ऐसा  मनोविकार  है   जो  बुद्धि , विवेक  और  भावनाओं   सबको  नष्ट  कर  देता  है  l '