8 July 2019

WISDOM -----

 टालस्टाय  ने  एक  बार  बड़े  स्पष्ट  शब्दों  में  कहा  था ---- बौद्धिक  कार्य  करने  वाले  को  भी  प्रतिदिन  नियम  से  खेती , कारीगरी  आदि   का  कुछ उपयोगी  शारीरिक  श्रम  अवश्य  करना  चाहिए  l  इससे एक  और  जहाँ  हम  इस  ईश्वरीय  आदेश  का  पालन  कर  सकेंगे  कि  ' मनुष्यों  को   अपने  पसीने  की  रोटी  खानी  चाहिए  '    वहां  इस  प्रकार  का  श्रम   हमारे  स्वास्थ्य  और  मानसिक  प्रसन्नता   की  रक्षा  करने  वाला   भी  होगा   l   टालस्टायस्वयं  चिलचिलाती   धूप  में   घास  काटने  व  खेती  का   काम  करते  थे  l  उनकी  प्रेरणा  से  अनेक  बड़े  विद्वान्  , उच्च  पदाधिकारियों  ने  इसका  अनुकरण  किया  l  गांधीजी  ने  दक्षिण  अफ्रीका   में   फीनिक्स  स्थित  ' टालस्टाय  फार्म  इसी   आदर्श  पर  स्थापित  किया  था  कि   उसमे  कितने  ही   सुशिक्षित भारतीय  और  यूरोपियन  कृषि  सम्बन्धी  तथा   अन्य  शारीरिक  श्रम  के  कार्य  करते  थे   l