25 March 2023

WISDOM ----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- "वास्तविकता  बहुत  देर  तक  छिपाए  नहीं  रखी  जा  सकती  l  व्यक्तित्व  में  इतने  अधिक  छिद्र   होते  हैं  कि  उनमें  से  होकर   गंध  दूसरों  तक  पहुँच  ही  जाती  है   l  इसलिए  कमजोरियों  पर   गंदगी  का  आवरण  न  डालकर   उनके  निष्कासन  के , स्वच्छता  के  प्रयासों  में  निरत  रहना  चाहिए   l ------- महात्मा  बुद्ध  आस्वान  राज्य  के  किसी  नगर  से  होकर  गुजर  रहे  थे  l  वह  स्थान  उनके  विरोधियों  का  गढ़  था  l  बुद्ध  को  अपमानित  करने  के  लिए  विरोधियों  ने  एक  चाल  चली  l  एक  कुलता  स्त्री  के  पेट  में  बहुत   सा  कपड़ा    बांधकर   भगवान  बुद्ध  के  पास  भेजा  गया  l  वह  वहां  पहुंची   और  जोर -जोर  से  चिल्लाकर  कहने  लगी  --- '  देखो  यह  पाप  इस  महात्मा  का  है  l  यहाँ  ढोंग  रचाए  घूमता  है  और  मुझे  स्वीकार  भी  नहीं  करता  l  "  सभा  में  खलबली  मच  गई  l  उनके  शिष्य  आनंद  बहुत  चिंतित  हो  गए   और  बोले --- " भगवान  !  अब  क्या  होगा  ? "   बुद्ध  हँसे  और  बोले ---- " तुम  चिंता  मत  करो  l  कपट  देर  तक  नहीं  चलता  l  चिरस्थायी  फलने -फूलने  की  शक्ति  केवल  सत्य  में  है  l "  इस  बीच  उस  स्त्री  की  करघनी   गई    और  जो   कपड़े    ऊपर    से  बाँध  रखे  थे   , वे  जमीन    पर  खिसक  पड़े   l  पोल  खुल  गई  , वह  स्त्री  अपने  कर्म  पर  बहुत  लज्जित   हुई   l  लोग  उसे  मारने  दौड़े  ,  पर  भगवान  बुद्ध   ने   यह  कहकर   उस  स्त्री  को  सुरक्षित  लौटा  दिया  --- "  जिसकी  आत्मा  मर  गई  हो  ,  वह  मरों  से  भी  बढ़कर  है  , उसे  शारीरिक  कष्ट  देने  से  क्या  लाभ  ? "