17 August 2022

WISDOM

   मनुष्य  को  भगवान  ने  बहुत  कुछ  दिया  है   l  बुद्धि  तो  इतनी  दी  है   कि  वह  संसार  के  सम्पूर्ण  प्राणियों  का   शिरोमणि  है   l  लेकिन  मनुष्य  अपनी  इस  बुद्धि  का  दुरूपयोग  सर्वप्रथम  अपनी  ही  असलियत  छुपाने  में  करता  है   l  वह  अपने  वस्त्रों , अपना  धन -वैभव   अपने  तौर - तरीकों  से  स्वयं  को   समाज  का  सभ्य  और  सम्मानित  प्राणी  दिखाता  है    और  इन  विभिन्न  आवरणों  के  पीछे  कितनी  कालिमा  है  ,  उसे  छुपा  जाता  है  l  यदि  बाहर  से  अच्छे  दिखने  वाले  वास्तव  में  उतने  अच्छे  होते   तो  परिवारों  में  , समाज  और  संसार  में  इतनी  अशांति  न  होती   l  बर्नार्ड  शा   के  एक  नाटक  ' मिसेज  वरेंस  प्रोफेशन  '  में  समाज  में   फैली  दुष्प्रवृत्तियों  पर  आक्रमण  किया  गया  है   l  उसमे  दिखाया  गया  है   कि  जो  लोग  समाज  में  ऊपर  से   ' सज्जन  '  और  ' सभ्य '   बने  रहते  हैं   उनमें  से  कितनों  का  ही   भीतरी  जीवन   कैसा  पतित  होता  है   l     इस  नाटक  की  मुख्य  शिक्षा  यही  है  कि   ' दुरंगा '     व्यक्तित्व  रखना  नीचता  का  लक्षण  है   l  मनुष्य  जैसा  विश्वास  रखता  हो    ,  उसे  वैसा  ही  जीवन  व्यतीत  करना  चाहिए   l    '      पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  भी  लिखा  है  -----  ' सचमुच  में  अपने  को   सभ्य  कहने   वाला  मनुष्य   आज  कितना  बनावटी  हो  चला  है  l  बात -बात  पर  अभिनय  करने  वाला  ,  समय - समय  पर  भिन्न  -भिन्न  मुखौटे   ओढ़ने   की  विडम्बना  में   फँसा  हुआ  है  l  उसके  जीवन  का  सारा  रस  इस  दोहरेपन  ने  सोख  लिया  है  l   "