22 November 2017

WISDOM ----- यदि अंत:करण मलिन और अपवित्र है तो ईश्वर की उपासना भी फलवती नहीं होती

अधिकतर  व्यक्ति  ईश्वर  को  याद करते  हैं  ,  पूजा -पाठ ,  उपासना  ,   -  आदि  कर्मकांड करते  हैं   परन्तु   फिर    भी  गई - गुजरी     स्थिति  में   रहते    हैं   l  कारण  है --- अन्दर  के  पाप कर्म     और  दुष्प्रवृत्तियों  में  लिप्त  रहना   l  फिर  यह  ढोंग  हुआ  ,  इसके  बदले  ईश्वर  की  कृपा  कैसे  मिले   ?   प्रभु  कृपा  की  एक  ही   शर्त  है ------ पवित्रता   l