29 February 2020

WISDOM-------

   पुरुषार्थ  की  दिशा   यदि  सही  नहीं  है  ,  तो  धुंआधार  काम  कर  के  भी  परिणाम  ' नहीं ' के  बराबर  रहता  है  --- कुछ  व्यक्ति  ऐसे  होते  हैं  , जिन्हे  अपने  प्रयत्न  का  सार्थक  पक्ष  यही  दीखता  है   कि   अपनी  अवांछनीय  परिस्थिति  के  लिए  किसी  अन्य  को  दोषी  ठहरा  दें  l   भगवान   से  लेकर   अपने  आसपास  के  किसी  व्यक्ति  को  उसका  लांछन  देने  ,  उसका  कारण  सिद्ध  करने  में  ही  वह  अपना  सारा  समय  और  सारी    अकल   खर्च  कर  देते  हैं  l
   कुछ  ऐसी  मनोभूमि  के  व्यक्ति  होते  हैं   जो  समस्याओं  के  मूल  कारणों  को  देखते  हैं   और  उन्हें  ठीक  करने  के  लिए  दमखम  के  साथ  उतर  पड़ते  हैं  l   उनके  समय , श्रम  और  सूझबूझ  की  सार्थकता  अधिक  होती  है  l   एक  कारण  का  निवारण  हो  जाने  पर   उनकी  अनेक  कठिनाइयां   अनायास  ही  सरल  होती  चली  जाती  हैं  l
 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है  --- बड़े  परिवर्तन  सदैव  सही  दिशा  में  कार्य   करने  वाले  पुरुषार्थियों  द्वारा  संभव  हुए  हैं  l   समझदारी  इसी  में  है  कि   पुरुषार्थ  की  सही  दिशा  तय  कर  लेनी  चाहिए  l