लघु -कथा ---- ' क्रोध करने वाला शत्रुओं से पहले अपने को ही नुकसान पहुंचाता है l '------- एक साँप को बहुत गुस्सा आया l उसने फन फैलाकर गरजना और फुफकारना शुरू किया और कहा ---- ' मेरे जितने भी शत्रु हैं , आज उन्हें खाकर ही छोडूंगा l उनमे से एक को भी जिन्दा नहीं रहने दूंगा l ' मेढक , चूहे , केंचुए और छोटे -छोटे जानवर उसके उस गुस्से को देखकर डर गए और छिपकर देखने लगे , देखें आखिर होता क्या है ? साँप दिनभर फुफकारता रहा और दुश्मनों पर हमला करने के लिए दिन भर इधर -उधर बेतहाशा भागता रहा l फुफकारते -फुफकारते उसके गले में दर्द होने लगा l शत्रु तो कोई हाथ नहीं आया , पर कंकर - पत्थरों की खरोंचों से उसकी सारी देह जख्मी हो गई , शाम को थकान से चकनाचूर होकर एक तरफ जा बैठा l ----- ' अनावश्यक आवेश और विशेष व्यक्ति को संत्रस्त करना करना अंतत: दुःख पहुँचाता है l
16 June 2022
WISDOM-------
स्वर्ग में किसी की शोभा यात्रा निकल रही थी l किसी ने पूछा ----- ' इस पालकी में कौन बैठा है ? ' उत्तर मिला ----- ' एक शेर बैठा है l ' प्रश्नकर्ता ने पूछा ---- " उसे स्वर्ग का वैभव कैसे प्राप्त हो गया ? " उत्तर मिला ----- " एक रात को बहुत आँधी , तूफान व बरसात होने लगी थी l शेर अपनी गुफा को लौट रहा था l उसे गंध से मालूम पड़ा कि उसकी अँधेरी गुफा में एक बकरी आकर बैठ गई है l शेर ने विचार किया कि बकरी अगर मुझे देख लेगी तो भयभीत हो जाएगी , इसलिए वह बाहर ही बैठ गया l वह रात भर पानी में भीगता रहा और बकरी को कष्ट न हो , इसलिए स्वयं कष्ट उठाता रहा l बकरी के प्राण बचाने के पुण्य के फलस्वरूप ही उसको स्वर्ग मिला है l " परोपकार कभी व्यर्थ व्यर्थ नहीं जाता l