हमारे धर्म ग्रन्थ युगों पहले लिखे गए , वे केवल इसलिए नहीं हैं कि हम घंटी बजा कर उनका पाठ कर लें , युग के अनुकूल वे हमें जीवन जीना सिखाते हैं l असुरता तो आदिकाल से ही धरती पर है , हमें उस असुरता पर विजय हासिल करनी है और रामायण का अध्ययन - मनन हमें सिखाता है कि यह जंग हम कैसे जीतें l रावण , मंथरा , सूपर्णखा आज भी इस धरती पर हैं , हमें आसुरी चाल को समझना है , और सीखना है कि उनके लगातार आक्रमण से कैसे बचें ? असुरता सबसे पहले फूट डालती है , मंथरा के मन पर नकारात्मकता का आक्रमण हुआ जो इतना तीव्र था कि राजा दशरथ के प्राण चले गए , परिवार बिखर गया l असुरता आज इसी तरह माइंड गेम खेलती है , परिवार और समाज में फूट डालती है l इसलिए जरुरी है कि हम चौकन्ने रहें , कान के कच्चे न हों l असुरता की सबसे बड़ी चाल यह है कि वह लोगों के अपनों से ही उनके प्राण लेने का , उन्हें घायल करने का प्रयास करती है ताकि वे असुर परदे के पीछे बचे रहें , उन पर कोई आंच न आये l इस बात को इस प्रसंग से समझ सकते हैं कि जब श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आ रहे थे तब भरत जी ने उन्हें बाण मारा था , तब हनुमान जी ने भगवान श्रीराम का नाम लिया l इससे यह शिक्षा मिलती है कि हम अपनी पूरी सामर्थ्य से कर्तव्य का पालन करें , उसमे कोई त्रुटि न हो , फिर ईश्वर को पुकारें , तब दैवी शक्तियाँ मदद करती हैं , संजीवनी बूटी जैसी कृपा मिलती है l