ऋषियों का कहना है ---- जिस प्रकार हजारों गायों के बीच बछड़ा अपनी माँ को पहचान लेता है , उसी प्रकार मनुष्य के कर्म उसे ढूंढ़ ही लेते हैं l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- ' आप चाहते यह हैं कि आपको अच्छे कर्मों का फल मिले , पर बुरे कर्मों के बारे में इतने लापरवाह क्यों हैं कि हम राम -नाम ले लेंगे , पंचामृत पी लेंगे , गंगा जी में डुबकी मार लेंगे तो इन दिल्लगी - मजाकों मात्र से पाप से छूट जायेंगे l यह मुमकिन नहीं है l जहर खाया है तो आपको मरना होगा l आपने गलतियां की हैं तो उनका फल भुगतना होगा या फिर प्रायश्चित कीजिए , जितनी खाई खोदी है उतनी भरिये l आध्यात्मिक क्षेत्र की सच्चाई आपको समझनी होगी कि कर्मफल एक वास्तविकता है और उसमें भूतकाल के कर्मों का आपका जो डिपॉजिट है , वह ज्यों का त्यों है l वह चिन्ह पूजा से नहीं मिटेगा , उसका भी विधि - विधान है l "