22 January 2023

WISDOM ----

   काँटे  ने  फूल  से  कहा -- बंधुवर  पुष्प  ! लो  सवेरा  हुआ  , माली  इधर  ही  आ  रहा  है  ,  अपनी  सज्जनता , सौम्यता  और  उपकार  की  सजा  भुगतने  के  लिए  तैयार  हो  जाओ  l  यदि  मेरी  सीख  मानते  और  कठोरता  व  कुटिलता  का  आश्रय  ग्रहण  किए  रहते  तो  आज  यह  नौबत  नहीं  आती  l  फूल  कुछ  बोला  नहीं  ,   वह  और  भी  मोहक  हो  उठा  l  माली  आया , उसने  फूल   तोड़ा  और  डलिया  में  रखा  l  काँटा  दर्प  से  हँसा , वृद्ध  माली  की  उँगलियों  में  चुभा   और  अहंकार  में  ऐंठ  गया  l  माली  उसे  गाली  देता  हुआ  वापस  लौट  गया  l  समय  बीता  l  एक  दिन  मंदिर  में  चढ़ाये  उस  फूल  की   सूखी  काया  को  कोई   उस  वृक्ष  की  जड़ों  के  पास  डाल  गया  l   काँटे  ने  उस  फूल  को  देखा   तो  हँसा  और  बोला ---- " कहो  तात  !  अब  तो  समझ  गए  कि  परोपकारी  होना  अपनी  दुर्गति  कराना  है  l "  फूल  की  आत्मा  बोली ---- " बंधु  !  यह  तुम्हारा  अपना  विश्वास  है  l  शरीर  में  चुभकर   दूसरों  की  आत्मा  को  कष्ट   पहुँचाने  के  पाप  के  अतिरिक्त   तुम  अपयश  के  भी  भागी  बने  l  अंत  तो  सभी  का  सुनिश्चित  है  ,  किन्तु  अपने  प्राणों  को   देवत्व  में  परिणत  करने  और  संसार  को  प्रसन्नता  प्रदान  करने  का  जो  श्रेय   मुझे  मिला  ,  तुम  उससे  सदैव  के  लिए  वंचित  रह  गए  l  मैं  हर  द्रष्टि  से  फायदे  में  हूँ  और  तुम  घाटे  में  l  "