20 May 2020

WISDOM ------ अहंकार आतंक को जन्म देता है , आत्मीयता को नहीं

  अहंकार  विवेक  का  हरण  कर  लेता  है  l  अहंकारी  को   औरों  की  पीड़ा  पीड़ित  नहीं  करती  ,  उसे  तो  केवल  अपने   सुख - दुःख  की  परवाह  होती  है  l   अहंकार  जिस  भाषा  का  प्रयोग  करता  है  उसमे  आधिपत्य  की  चाहत  होती  है   l   किसी  अन्य  पर  अधिकार  आप   तभी  तक  कर  सकते  हो  जब  तक  वह  आपके  आतंक  के  नीचे  है   l
 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---  यदि  आप  चाहते  हैं  कि   लोग  तुम्हे  हृदय  से  चाहें    तो  उनके  कष्ट  के  निवारण  के  लिए  हृदय  से   प्रयास  करना   सीखो  l   मानवीय  संबंध   प्रेम  के  आधार  पर  खड़े  होते  हैं   l   हृदय  में  संवेदना   हो  तभी  लोगों  का  स्नेह  व  आदर  प्राप्त  होता  है   l  '
        अपने  पिता  बिंदुसार   से  सम्राट  अशोक  को  सुविस्तृत  राज्य  प्राप्त  हुआ   l   पर  उसकी  तृष्णा  और  अहंकार   ने  उसे  चैन  नहीं  लेने  दिया   l   आसपास  के  छोटे - छोटे  राज्य   उसने  अपनी  विशाल  सेना  के  बल  पर  जीते    और  अपने  राज्य  में  मिला  लिए  l
उसके  मन  में  कलिंग  राज्य  पर  आक्रमण  करने  की  उमंग  आई  l  कलिंग  का  राजा  धर्मात्मा  भी  था  और  साहसी  भी  था  l   उसकी  सेना  और  प्रजा  ने   अशोक  के  आक्रमण  का  पूरा  मुकाबला  किया  l  उसमे  प्राय:  सारी   आबादी  मृत्यु  के  मुख  में  चली  गई   l   अब  उस  देश  की  महिलाओं  ने  तलवार  उठाई  l   अशोक  इस  सेना  को  देखकर  चकित  रह  गया  l   वह  उस  देश  में  भ्रमण  के  लिए  गया  ,  तो  सर्वत्र  लाशें  ही  पटी   देखीं   और  खून  की  नदियां  बह   रही  थीं  l 
अशोक  का  मन  पाप  की  आग  में  जलने  लगा  l   उसने  बौद्ध  धर्म  की  दीक्षा  ली   और  जो  कुछ  राज्य  वैभव  था  ,  उस  सारे  धन  से   बौद्ध  धर्म  के  प्रसार  तथा  उपयोगी  धर्म  संस्थान   बनवाए l   अपने  पुत्र  तथा  पुत्री  को  धर्म  प्रचार  के  लिए  समर्पित  कर  दिया    एक  क्रूर  और  आततायी  कहा  जाने  वाला  अशोक  ,  प्रायश्चित  की  आग  में  तपकर    संन्यासी  जैसा  हो  गया  l 

WISDOM -----

 जरथुस्त्र   जब  जन्मे   तो  हँसते  हुए  पैदा  हुए  l   अन्य  बालकों  की  तरह  रोए   नहीं  l   सभी  आश्चर्यचकित  थे   कि   ये  रोए   क्यों  नहीं  l  भाँति - भाँति   की  अटकलें  लगाईं   गईं   l   जब  जरथुस्त्र  बड़े  हुए    तो  लोगों  ने   जन्म  के  समय   हँसने   का  वृतांत   उन्हें  सुनाया    और  इसका  रहस्य  जानना  चाहा  l
   वे  बोले ---- " हम  जन्म  के  समय  ही  नहीं  हँसे ,  हर  परिवर्तन  हँसकर   ही  झेला  जाता  है  l  "
  जरथुस्त्र   अंतिम  समय  भी  हँसे   तो  लोगों  की  समझ  में  नहीं  आया    कि   अब  क्यों  हँसे   ?   पूछा  गया  तो  बोले  --- " लोगों  को  रोते   देखकर  हँसी   आ  गई  कि   कितने  नादान   हैं   ये ,   हम  मकान  बदल  रहे  हैं   !  तो  इन्हें  क्यों  परेशानी  हो  रही  है  l  "
 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं ---- 'यदि  हम  परिवर्तन   इसी  तरह   मुस्कराकर  स्वीकार  कर  लें    तो  जीवन  जीने  का  मंत्र   आ  जाये  l '