अहंकार विवेक का हरण कर लेता है l अहंकारी को औरों की पीड़ा पीड़ित नहीं करती , उसे तो केवल अपने सुख - दुःख की परवाह होती है l अहंकार जिस भाषा का प्रयोग करता है उसमे आधिपत्य की चाहत होती है l किसी अन्य पर अधिकार आप तभी तक कर सकते हो जब तक वह आपके आतंक के नीचे है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- यदि आप चाहते हैं कि लोग तुम्हे हृदय से चाहें तो उनके कष्ट के निवारण के लिए हृदय से प्रयास करना सीखो l मानवीय संबंध प्रेम के आधार पर खड़े होते हैं l हृदय में संवेदना हो तभी लोगों का स्नेह व आदर प्राप्त होता है l '
अपने पिता बिंदुसार से सम्राट अशोक को सुविस्तृत राज्य प्राप्त हुआ l पर उसकी तृष्णा और अहंकार ने उसे चैन नहीं लेने दिया l आसपास के छोटे - छोटे राज्य उसने अपनी विशाल सेना के बल पर जीते और अपने राज्य में मिला लिए l
उसके मन में कलिंग राज्य पर आक्रमण करने की उमंग आई l कलिंग का राजा धर्मात्मा भी था और साहसी भी था l उसकी सेना और प्रजा ने अशोक के आक्रमण का पूरा मुकाबला किया l उसमे प्राय: सारी आबादी मृत्यु के मुख में चली गई l अब उस देश की महिलाओं ने तलवार उठाई l अशोक इस सेना को देखकर चकित रह गया l वह उस देश में भ्रमण के लिए गया , तो सर्वत्र लाशें ही पटी देखीं और खून की नदियां बह रही थीं l
अशोक का मन पाप की आग में जलने लगा l उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और जो कुछ राज्य वैभव था , उस सारे धन से बौद्ध धर्म के प्रसार तथा उपयोगी धर्म संस्थान बनवाए l अपने पुत्र तथा पुत्री को धर्म प्रचार के लिए समर्पित कर दिया एक क्रूर और आततायी कहा जाने वाला अशोक , प्रायश्चित की आग में तपकर संन्यासी जैसा हो गया l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- यदि आप चाहते हैं कि लोग तुम्हे हृदय से चाहें तो उनके कष्ट के निवारण के लिए हृदय से प्रयास करना सीखो l मानवीय संबंध प्रेम के आधार पर खड़े होते हैं l हृदय में संवेदना हो तभी लोगों का स्नेह व आदर प्राप्त होता है l '
अपने पिता बिंदुसार से सम्राट अशोक को सुविस्तृत राज्य प्राप्त हुआ l पर उसकी तृष्णा और अहंकार ने उसे चैन नहीं लेने दिया l आसपास के छोटे - छोटे राज्य उसने अपनी विशाल सेना के बल पर जीते और अपने राज्य में मिला लिए l
उसके मन में कलिंग राज्य पर आक्रमण करने की उमंग आई l कलिंग का राजा धर्मात्मा भी था और साहसी भी था l उसकी सेना और प्रजा ने अशोक के आक्रमण का पूरा मुकाबला किया l उसमे प्राय: सारी आबादी मृत्यु के मुख में चली गई l अब उस देश की महिलाओं ने तलवार उठाई l अशोक इस सेना को देखकर चकित रह गया l वह उस देश में भ्रमण के लिए गया , तो सर्वत्र लाशें ही पटी देखीं और खून की नदियां बह रही थीं l
अशोक का मन पाप की आग में जलने लगा l उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और जो कुछ राज्य वैभव था , उस सारे धन से बौद्ध धर्म के प्रसार तथा उपयोगी धर्म संस्थान बनवाए l अपने पुत्र तथा पुत्री को धर्म प्रचार के लिए समर्पित कर दिया एक क्रूर और आततायी कहा जाने वाला अशोक , प्रायश्चित की आग में तपकर संन्यासी जैसा हो गया l