मनुष्य भटका हुआ देवता है | यदि वह अपने इस भटकाव से छुटकारा पा सके और महानता के राजमार्ग पर चलते रहने की विवेकशीलता अपना सके, तो उतने भर से ही स्वयं पार उतरने और अनेकों को पार उतारने की स्थिति अनायास ही बन सकती है |
आत्मबल के धनी अपनी संकल्पशक्ति और प्रतिभा के सहारे अभीष्ट वातावरण बना सकने में पूरी तरह सफल होते हैं | मनुष्य के पास शरीर, मन और अंत:करण- ये तीन ऐसी खदाने हैं, जिनमे से इच्छानुसार मणि-मुक्तक खोद निकाले जा सकते हैं |
आत्मबल के धनी अपनी संकल्पशक्ति और प्रतिभा के सहारे अभीष्ट वातावरण बना सकने में पूरी तरह सफल होते हैं | मनुष्य के पास शरीर, मन और अंत:करण- ये तीन ऐसी खदाने हैं, जिनमे से इच्छानुसार मणि-मुक्तक खोद निकाले जा सकते हैं |