आध्यात्मिक जीवन द्रष्टि वह है, जो हमें हर पल अपने उद्देश्य का ध्यान कराये , उद्देश्य से जरा भी विचलित न होने दे | ऐसा तभी संभव है जब हम निरंतर भगवान का स्मरण करें | ऐसा स्वभावतः करना संभव नहीं है , लेकिन अपनी जीवनशैली को सुधारकर, निरंतर अभ्यास के द्वारा अपने मन को उच्च उद्देश्यों, श्रेष्ठ कर्मो, आदर्शों में लगाने से व्यक्ति मानव जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करता है
मन की सामर्थ्य तन से कई गुना ज्यादा है | मन की सामर्थ्य को बढ़ाने के लिये ही ध्यान-साधना का प्रावधान है | यह गलतफहमी है कि ध्यान वैरागी बनाता है | ध्यान से हम सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्र में सफलता हस्तगत कर सकते हैं | ध्यान संसार से भागने का नाम नहीं है , यह तो संसार में रहकर आध्यात्मिक प्रगति करने की विधा है |
मन की सामर्थ्य तन से कई गुना ज्यादा है | मन की सामर्थ्य को बढ़ाने के लिये ही ध्यान-साधना का प्रावधान है | यह गलतफहमी है कि ध्यान वैरागी बनाता है | ध्यान से हम सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्र में सफलता हस्तगत कर सकते हैं | ध्यान संसार से भागने का नाम नहीं है , यह तो संसार में रहकर आध्यात्मिक प्रगति करने की विधा है |