एक देश का बंटवारा हुआ । विभाजन रेखा पागलखाने के बीच में से होकर गुजरी । अधिकारियों को बड़ी चिंता हुई , दोनों देश के अधिकारियों में से कोई भी पागलों को अपने देश में लेने को तैयार नहीं था । अधिकारी इस बात पर सहमत हुए कि पागलों से ही पूछा जाये कि वे कहां रहना चाहते हैं ।
अधिकारियों ने पागलों से कहा -" देश का बंटवारा हो गया है , आप इस देश में जाना चाहते हैं या उस देश में ?" ।
पागलों ने कहा --" हम में कोई आपसी मतभेद नहीं है , हम मिलजुलकर रहते है । इसमें आपको क्या आपत्ति है ?"
अधिकारियों ने कहा --" आपको जाना कहीं नहीं है , रहना यहीं है । आप तो यह बताएं कि इस देश में रहना चाहते हैं या उस देश में ? "
पागल बोले --" यह भी क्या अजीब ' पागलपन ' है । जब हमें कहीं जाना नहीं है तो इस देश या उस देश से क्या मतलब ? "
अधिकारी बड़ी उलझन में फंस गये । उन्होंने सोचा व्यर्थ की माथा -पच्ची से क्या लाभ ? और उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचों बीच दीवार खड़ी करा दी ।
कभी -कभी पागल उस दीवार पर चढ़ जाते और एक दूसरे से कहते --देखा !' समझदारों ' ने देश का विभाजन किया है । न तुम कहीं गये न हम । व्यर्थ में हमारा तुम्हारा मिलना -जुलना , हँसना -बोलना बंद करके इन्हें क्या मिल गया ?
जब-जब मनुष्य पर बेअकली सवार होती है तो वह जाति , सम्प्रदाय , रंग रूप , भाषा और देश के आधार पर विभाजित होता चला जाता है और अपनी शांति और खुशहाली नष्ट करता रहता है ।
अधिकारियों ने पागलों से कहा -" देश का बंटवारा हो गया है , आप इस देश में जाना चाहते हैं या उस देश में ?" ।
पागलों ने कहा --" हम में कोई आपसी मतभेद नहीं है , हम मिलजुलकर रहते है । इसमें आपको क्या आपत्ति है ?"
अधिकारियों ने कहा --" आपको जाना कहीं नहीं है , रहना यहीं है । आप तो यह बताएं कि इस देश में रहना चाहते हैं या उस देश में ? "
पागल बोले --" यह भी क्या अजीब ' पागलपन ' है । जब हमें कहीं जाना नहीं है तो इस देश या उस देश से क्या मतलब ? "
अधिकारी बड़ी उलझन में फंस गये । उन्होंने सोचा व्यर्थ की माथा -पच्ची से क्या लाभ ? और उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचों बीच दीवार खड़ी करा दी ।
कभी -कभी पागल उस दीवार पर चढ़ जाते और एक दूसरे से कहते --देखा !' समझदारों ' ने देश का विभाजन किया है । न तुम कहीं गये न हम । व्यर्थ में हमारा तुम्हारा मिलना -जुलना , हँसना -बोलना बंद करके इन्हें क्या मिल गया ?
जब-जब मनुष्य पर बेअकली सवार होती है तो वह जाति , सम्प्रदाय , रंग रूप , भाषा और देश के आधार पर विभाजित होता चला जाता है और अपनी शांति और खुशहाली नष्ट करता रहता है ।