28 February 2013

Gayatri Mantra...

गायत्री मंत्र सद्बुद्धि का मंत्र है | इसके जप से विवेक शक्ति जाग्रत होती है | गायत्री महामंत्र में 24  अक्षर हैं | इन 2 4 अक्षरों में -2 4 अवतार ,2 4 देवता ,2 4 ऋषि ,2 4 देवशक्तियाँ और 2 4 शक्ति स्रोत समाहित हैं | 24अक्षरों से आरम्भ होने वाले 24 श्लोकों को गायत्री रामायण कहा जाता है | ब्रह्म विज्ञान के 24 महाग्रंथ हैं -4 वेद ,4 उपवेद ,4 ब्राह्मण ,6 दर्शन ,6 वेदांग ,ये मिलकर 24 हैं |
ह्रदय से ब्रह्म रंध्र की दूरी 24 अंगुल है | सांख्य दर्शन के अनुसार यह सारा स्रष्टि क्रम 24 तत्वों के सहारे चलता है | मनुष्य शरीर के प्रधान अंग 24 हैं | एक दिन में भी 24 घंटे होते हैं | यह विश्व गायत्रीमय है |         
संसार की प्रत्येक वस्तु गुण -दोषमय है | मानव जीवन सुख -दुःख ,लाभ -हानि ,संपति और विपति के ताने -बाने से बना हुआ है | यह दोनों ही रात -दिन की तरह आते रहते हैं | संसार में बुराई और भलाई दोनों ही पर्याप्त मात्रा में हैं ,हम अपनी आन्तरिक स्थिति के अनुसार ही उसे पकड़ते हैं | यदि हम विवेकशील हैं तो संसार में जो कुछ श्रेष्ठ है उसे ही पकड़ने के लिये प्रयत्न करेंगे | जिस प्रकार हंस के सामने पानी और दूध मिलाकर रखा जाये तो वह केवल दूध ही ग्रहण करेगा और पानी छोड़ देगा ,मधुमक्खी फूलों में से केवल मिठास ही चूसती है शेष अन्य स्वादों का जो बहुत सा पदार्थ फूलों में भरा है उसे व्यर्थ समझकर छोड़ देती है | एक वैद्द्य पारद को लेकर बहुमूल्य रसायन बनाता है जिससे अनेक व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ करते हैं दूसरी ओर उसी पारद को खाकर कोई व्यक्ति आत्म -घात कर लेता है | परमात्मा ने गुण -दोषमय विश्व की इस प्रकार की अनोखी संरचना मनुष्य की विवेक की परीक्षा करने के लिये ही की है ताकि विवेक रूपी मणि के प्रकाश में हम गुणों को ,श्रेष्ठता को ग्रहण करें इसी में मानव जीवन की सार्थकता है |