24 August 2023

WISDOM -----

  ' क्रोध  एक  ऐसा  विकार  है  ,जो  अकल्पनीय  क्षति  पहुंचा  सकता  है  l '------- श्रेणिक  नामक  एक  राजा  था  l  चेलना  नाम  की  उसकी  रानी  थी  l  एक  बार  दोनों  महावीर  तीर्थंकर  के  दर्शन  कर  लौट  रहे  थे  तो  रानी  ने  देखा  कि  एक  दिगंबर  मुनि  भयंकर  शीत  में  तप  कर  रहे  हैं  l  यात्रा  में  रानी  बेहद  थक  गईं  थी  इसलिए   महल  में  लौटने  पर  उन्हें  गहरी  नींद  आ  गई  l  उनका  एक  हाथ   शीत  के  कारण  बिस्तर  से  नीचे  लटककर  अकड़  गया  l  आँखें  खुली  तो  बहुत  दरद  था  l  जब  सेंक  दिया  जा  रहा  था   तो  रानी  के  मन  में  सहज  ही  उस  मुनि  की  स्मृति  हो  आई  ,  जो  निर्वस्त्र  बैठा   भयावह  शीत  झेलता  तप  कर  रहा  था  ,  वे  बोल  उठीं --- " हे  भगवान  !  उस  बेचारे  का  क्या  हाल  होगा  , जब  मेरा  यह  हाल  हो  गया  है  ! "  राजा  ने  शब्द  सुने , संदेह  जन्मा   कि  रानी  के  मन  में  अवश्य  ही  कोई  परपुरुष  है  l  वे  बाहर  निकले   और  क्रोध  से  पागल  होकर  मंत्री  से  बोले  ---- "  रानी  अंदर  सो  रही  है  , तुम  अंत:पुर  जला  दो  l "  इसके  बाद  मन  शांत  करने  राजा  भगवान  महावीर  के  पास  पहुंचे  l  पहुँचते  ही    भगवान  महावीर  बोले  ---- "  चेलना  पवित्र  है , पतिव्रता  है  l  यह  तुमने  क्या  किया  ! "  तुरंत  राजा   श्रेणिक  वापस  लौटे  l  पूछा --- " महल  जला  दिया  क्या  ? "  मंत्री  ने  कहा ---- " हाँ , आपकी  आज्ञा  थी  l "  राजा  एकदम  शोक  में  डूब  गए  l  मंत्री  ने  कहा --- " राजन  !  दुःखी  न  हों  l मैं  जानता  था  , आपने  निर्णय  आवेश  में  लिया  l  महल  व  रानी  सुरक्षित  हैं   l  मैंने  प्रतीक  रूप  मर  हस्ति शाला  जला  दी  l " राजा  प्रसन्न  भाव  से  रानी  के  पास  पहुंचे  l   फिर  राजा  ने  संकल्प  लिया  कि   कभी  कोई  निर्णय  होश  खोकर ,  क्रोध  में  नहीं  लेंगे  l