9 October 2019

WISDOM ----- मार्ग अलग - अलग हैं लेकिन मंजिल एक ही है

  श्रीमद्भगवद्गीता  में   श्री  भगवान  कहते  हैं  --- भक्ति  के  अलावा   भी  उन  तक  पहुँचने  के  अनेक  मार्ग  हैं   l  भक्त  हों  या  निराकार के  उपासक  हों ,  किसी  भी  विधि  से  ,  कहीं  से  भी  चलो  ,  सबकी  मंजिल   एक  ही  है  ,  वहां  पहुंचकर  कोई  भेद नहीं  रहता  है  l
पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी ने  लिखा  है  ----  ' इस  दुनिया  में  इतना  जो  अधर्म  है  ,  उसका  कारण  यह  नहीं  है  कि  नास्तिक  दुनिया में  ज्यादा  हो  गए  हैं  ,  बल्कि  कारण  यह  है  कि  आस्तिकों  ने  एक  दूसरे  को  गलत  सिद्ध  कर  के   ऐसी  हालत  पैदा  कर  दी  कि  कोई  भी  सही  नहीं  रह  गया  l  पूरी  दुनिया  में  तकरीबन  तीन सौ  धर्म  हैं   और  एक  धर्म  को  दो  सौ  निन्यानवे   गलत  कह  रहे  हैं  l  यह  सहज  ही  स्पष्ट  है   कि  आम जनता  पर  किसका  असर  ज्यादा  होगा  l  एक  स्वयं  को  ठीक  कहता  है  ,  तो  दो  सौ  निन्यानवे  उसे  गलत  साबित  करने  में  जुटे  हैं   l  स्थिति  यह  है   कि   हर  एक  के  खिलाफ   दो  सौ  निन्यानवे  हैं  l   दुनिया  की  खराब  हालत  के  लिए  जिम्मेदार  ये  तीन  सौ  धर्म  हैं  l  सभी  एक  दूसरे  की  लाशें  बिछाने  में  लगे  हैं  l  हिन्दुओं  ने  मुसलमानों  को  गलत  सिद्ध  किया  ,  मुसलमानों  ने  हिन्दुओं  को  गलत  कर  दिया  l  इसी  तरह  साकार  व  निराकार  ने  एक  दूसरे  को   गलत  कर  दिया  l  इन  लोगों  के  अनुसार  --- बाइबिल  कुरान  के  खिलाफ  है  ,  कुरान  गीता  के खिलाफ  है  l  वेद  तालमुद  के  खिलाफ  हैं  ,  तालमुद  जिंदे  अवेस्ता  के  खिलाफ  है   l  बस  इसी  तरह  खिलाफत  और  झगड़ों  का  सिलसिला  जारी  है   और  पूरी  दुनिया  लाशों  से  पटी  पड़ी  है  l एक  दूसरे  का  खून  बहाया  जा  रहा  है   l
  ऐसी  दशा  में    श्रीकृष्ण  बहुत  ही  क्रांतिकारी  सूत्र  देते  हैं  l  वे  कहते  हैं  की  विपरीतताएँ   कितनी  ही  क्यों  न  हों  ,  झगड़े  कितने  ही  खड़े  कर  लो  ,  पर  यदि  तुम  चलना  शुरू   करोगे   तो  पहुंचोगे  , एक  ही  मंजिल  तक   l  भक्ति  की ,  ज्ञान  की  मंजिल  एक  है   l  निराकार  और  साकार  एक  ही    सत्य  के  दो  रूप  हैं  l  हम  किसी  भी  पथ  से  चलें ,  लेकिन   पहुंचेंगे   भगवान  तक  ही  l  '