18 February 2018

WISDOM ------ तृष्णा कभी समाप्त नहीं होती

' जिस  तरह  मक्खी  या  चींटी  गुड़  की  चाशनी  में  एक  बार  चली  जाये  तो  फिर  वहां  से  वह  निकल  नहीं  पाती   और  अंततः  वहीँ  उसकी  मृत्यु  हो  जाती  है   l  '
   रामकृष्ण   परमहंस  एक  कथा  कहते  हैं ---- एक  व्यक्ति  घने  जंगल  में  भागा  जा  रहा  था  l  घने  अँधेरे  के  कारण  कुएं  में  गिर  गया  l  गिरते  हुए  उसके  हाथ  में  कुएं  के  ऊपर  झुके  वृक्ष  की  डाल  आ  गई  l  नीचे  झाँका  तो  वहां  चार  विशाल  अजगर  थे   और  जिस  डाल  को वह  पकड़े  था  उसे  दो  चूहे  कुतर  रहे  थे  l   इतने  में  एक  हाथी  आया   और  वृक्ष  के  तने  को  हिलाने  लगा  l  वृक्ष  के  ठीक  ऊपर  मधु मक्खी  का  छत्ता  था  l  वृक्ष  हिलने  से  मधुमक्खी  उड़ने  लगी  तो  छत्ते  से  शहद  टपकने  लगा  जो  उस  व्यक्ति  के  होठ  पर  गिरा   l  अब  वह  व्यक्ति  सारे  कष्ट  भूलकर  शहद  चाटने  लगा  l  उसी  समय  वहां  से  शिव -पार्वती   निकले  l  पार्वतीजी  ने  उसे  बचाने  के  लिए  शिवजी  से  अनुरोध  किया  l  शिवजी  ने  उससे  कहा --- " मेरा  हाथ  पकड़  लो  ,  मैं  तुम्हे  बाहर  निकलता  हूँ  l "  वह  व्यक्ति  कहने  लगा --- " बस  एक  बूंद  शहद  और  चाट  लूँ  l  "  हर  बूंद  के  बाद  अगली  बूंद  की  प्रतीक्षा  चलती  रही  l  अंत  में  शिवजी  उसे  छोड़कर  चले  गए  l