2 December 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' संपन्नता   और  समर्थता  का  लाभ  तभी  है  , जबकि  उन  पर  शालीनता  का  प्रखर  नियंत्रण  रहे   l   इतिहास  इस  बात  का  साक्षी  है  कि   समर्थता  प्राप्त  करने  वाले  व्यक्ति   यदि  निकृष्ट  स्तर  के  रहे  तो   वे  अपने  समय  के  सारे  वातावरण  को   विक्षुब्ध  करते  रहे  हैं   तथा  उनका  वैभव   असंख्य  व्यक्तियों  के  लिए   अभिशाप  ही  सिद्ध  होता  रहा  है   l '  आचार्य  श्री   आगे  लिखते  हैं  ---- ' यदि  व्यक्ति  दुर्बुद्धिग्रस्त  है , उसके  अंतरंग  में  निकृष्टता  है    तो  अभावग्रस्त  स्थिति  में  वह  फिर  भी  दबी  रहती  है  ,  लेकिन  शक्ति  और  साधन  मिलने  पर  वह  और  अधिक  खुला  खेल  खेलने  लगती  है  l   तब  कुकर्मी  का  वैभव   उसके  स्वयं  के  लिए  ,  संबंधित   व्यक्तियों  और  समाज  के  लिए   अभिशाप  ही  सिद्ध  होता  है   l  इसलिए  इस  तथ्य  को  ध्यान  में  रखा  जाना  चाहिए    कि   शक्ति  और   सामर्थ्य का   संचय - संवर्द्धन  करने  के  साथ   उसका  उपयोग  करने  वाली   चेतना  का  स्तर  ऊँचा  रहना  चाहिए   l   चेतना  का  स्तर  ऊँचा  रहने  की  स्थिति  में   ही  समर्थता  और  संपदा   का  सहयोग  संभव  है  l   इसके  बिना  बन्दर  के  हाथ  में  तलवार  पड़ने  की  संभावना  अधिक  रहेगी  l  "