6 January 2024

WISDOM -----

   ' रात  गँवाई  सोय  के , दिवस  गँवायो  खाय ,  मीरा  जनम  अनमोल  था  ,  कौड़ी  बदले  जाय  l   '  बड़े  पुण्यों  के  बाद  मानव  शरीर  मिलता  है  ,  लेकिन  मनुष्य  अपनी  नासमझी  के  कारण  अपना  पूरा  जीवन  छल , कपट , षड्यंत्र ,  दूसरों  को  नीचा  दिखाना , लोगों  का  हक  छीनना , दूसरों  को  कष्ट  देकर   आनंदित  होना   और  कभी  समाप्त  न  होने  वाली  तृष्णा , कामना , लालच ------ आदि  नकारात्मकता  में  ही  व्यतीत  कर  देता  है  l  हमें  गिनती  की  श्वास  मिली  हैं  लेकिन  इस  नकारात्मकता  से   उबरें  , तभी  इस  जीवन  का  सदुपयोग  हो  सके  l  इन  सबके  ऊपर  एक  सबसे  बड़ी  गलत  आदत  है  --' आलस  '  और  आलसी ,   कर्महीन     व्यक्ति  की  भगवान  भी  मदद  नहीं   करते  l  एक  कथा  है ------  बरसात  के  दिन  समीप  थे  l  पत्नी  ने  पति  से  कहा --- अब  चहत  पर  मिटटी  डालकर  प्लास्टिक  शीट  से  ढक  देना  चाहिए   नहीं  तो  कमरे  में  पानी  भरेगा  l  दीर्घसूत्री  महा आलसी   पति  ने  कहा  --- "  ऐसी  क्या  जल्दी  है  , कर  लेंगे  l  इसमें  कितना  समय  लगता  है  l "  पत्नी  बेचारी  चुप  हो  गई  l  आकाश  में   बादल   घिरने  लगे  l  पत्नी  बोली ---- "देखिए , अब  तो  बरसात  सिर  पर  आ  गई  l  अब  तो  कुछ  करिए  l "   ऊँघते  हुए  पतिदेव  बोले ---- " कोई  रात  में  ये   बादल    बरसने  वाले  नहीं  हैं  l  ये  तो  रोज  ही  आते -जाते   बादल  हैं  l "   दिन  निकल  गया  l  एक -दो  दिन  बाद  आंधी  आई  ,  साथ  लाइ  काले  बादल  l  देखते -देखते  आकाश  काला  हो  गया  l  तेज  बरसात  आरम्भ  हो  गई  l  घनघोर  वर्षा  रात  भर  होती  रही  l  अगले  दिन  मकान  धराशायी    हो  गया  l  पति  महोदय  रोने  लगे  ---- " अब  इन  बच्चों  का , हमारा  क्या  होगा  ! "  इस  पर  पत्नी  ने  उत्तर  दिया  ---- "  वही  होगा  जो  शेखचिल्लियों  के  बच्चों  का  होता  आया  है  l  "    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " आलस्यवश  काम  को  बाद  के  लिए  छोड़ना   एक  ऐसा  दुर्गुण  है  ,  जो  जीवन  को  बरबाद  करता  है  l  जो  जीवन  से  प्यार  करते  हैं  , उन्हें  आलस्य  में  समय  नहीं  गँवाना  चाहिए  l "