20 June 2013

ACTION--- An action is the perfection and publication of thought.

'जिस आदर्श में व्यवहार का प्रयत्न न हो ,वह निरर्थक है और जो व्यवहार आदर्श से प्रेरित न हो वह भयावह है
                    विचार तथा कर्म का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है | उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के लिये विचार शक्ति के साथ ही द्रढ़ इच्छा शक्ति एवं संकल्प बल का होना भी नितान्त आवश्यक है | इसके अभाव में विचार भी पंगु हो जाते हैं |
विचार संसार की सबसे महान शक्ति है किन्तु असंगठित ,अव्यवस्थित और कोरे काल्पनिक किताबी विचार केवल दिल बहलाव मनोरंजन की सामग्री है | हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम उन विचारों को क्रियात्मक स्वरुप प्रदान नहीं करते ,शिक्षाओं पर द्रढ़ता पूर्वक अमल नहीं करते ,अपने आचरण को उनके अनुसार नहीं बनाते |
    यह संसार कर्म -भूमि है | केवल सोचने विचारने मात्र से से आज तक न तो किसी को कुछ प्राप्त हुआ है ,न भविष्य में कुछ प्राप्त होने की संभावना है | जो कर्म क्षेत्र में उतर आता है ,वही आगे बढ़ता है | जो अपने अंतस की शुभ प्रेरणाओं को क्रियात्मक रूप देता है ,वही अंत में पूर्ण विजयी होता है | संसार तो कर्म की कसौटी है | यहां मनुष्य की पहचान उसके कर्मों से होती है | यदि जीवन में सफल होना है तो कर्म योगी बनो | कर्म द्वारा ही मनुष्य शारीरिक ,मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है |