6 April 2018

WISDOM ----- कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है ----- संत वसवेश्वर

   कर्नाटक  के  महान  संत  वसवेश्वर  ने   व्याख्यान  शैली  नहीं  अपनाई ,  वे  सुकरात  की  तरह  विचार विमर्श  और  मंत्रणा  करने  का  क्रम  अपनाकर  चले  l  उनके  सम्पर्क  में  आने  वाले  सच्चे  धर्म परायण  बनते  चले  गए ,  यह  संख्या  इतनी  बढ़ती  गई   कि  उनका  समूह   ' लिंगायत '  के  नाम  से  प्रसिद्ध  हुआ  l   सन्त  वसवेश्वर  ने  बताया  कि  केवल  पूजा - प्रार्थना , कर्मकांड  के  आधार  पर  भगवान  का  अनुग्रह  प्राप्त  नहीं  किया  जा  सकता  l  कर्तव्यहीन  व्यक्ति  ही  तथाकथित  धर्म - कृत्यों  को  सब  कुछ  मान  लेते  हैं  l 
 ईश्वर  की  प्राप्ति  उच्च  चरित्र ,  उदार  प्रकृति  और  परमार्थ परायणता  पर  निर्भर  है  l   उनका  कहना  था  कि  जो  व्यक्ति  अपने  व्यक्तिक  और  सामाजिक  कर्तव्यों  का  पालन   निष्ठापूर्वक  करता  है  वही  सच्चा  धर्म परायण  है   l  वे  पूजा - पाठ  द्वारा  पाप - फल  न  मिलने  का  बहकावा  नहीं  देते  थे   l  '
  उनका   कहना  था   कि  भक्ति  की  पूर्णता  और  सार्थकता  के  लिए   मनुष्य  का  व्यक्तिगत  और  सामाजिक  आचरण  शुद्ध ,  सच्चरित्र ,  ईमानदार ,  नेक  और  पवित्र   होना  चाहिए  l