' धरती पर प्रेम, आत्मीयता एवं दूसरों के हित में लगे रहना ही पुण्य है, पूजा है |'
फादर दामियेन सच्चे ईश्वर भक्त थे | उन्हें ईसा के शब्द सुनाई पड़ते थे, " छोटों में से छोटों के लिये भी तुम जो कुछ करोगे, वह मेरे लिये करोगे | " वे हवाई द्वीप के मोलोकाई टापू में मात्र 30 वर्ष की उम्र में आ गये , जहाँ कोढ़ियों को आबाद किया गया था | कुल 800 चलते-फिरते निर्जीव शरीर उन्हें वहां मिले | फादर ने उन्हें प्यार दिया , ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति कराई | उनने उनकी खूब सेवा की , उनके लिये स्वच्छ हवादार मकान बनाये , नालियों व सफाई की व्यवस्था की | उनकी सेवा का सम्मान हुआ , स्वयं महारानी ने 1881 में वहां आकर उन्हें पदक दिया | क्रमश: रोग ने उन्हें भी ग्रास में ले लिया व 1899 की 15 अप्रैल को वे शरीर छोड़कर चले गये , पर अंतिम समय तक अपने साथियों के बीच सेवा करते हुए ही उनकी हर श्वास बीती | यही तो है-- सच्ची ईश्वर भक्ति
भले ही हमारी उपासना पद्धतियाँ अलग-अलग हों , हम परमार्थ के मार्ग पर चलें | ईश्वर की इस विराट बगिया को सुंदर बनाना ही उनका भजन करना है | जो भी हमसे बन पड़े , वह करते हुए हम औरों का कितना हित कर पाते हैं , इस विश्व-उद्दान में कितने रंगीन फुहारे आसमाँ में उछाल पाते हैं , इस पर हमारे भजन का वजन टिका है |
फादर दामियेन सच्चे ईश्वर भक्त थे | उन्हें ईसा के शब्द सुनाई पड़ते थे, " छोटों में से छोटों के लिये भी तुम जो कुछ करोगे, वह मेरे लिये करोगे | " वे हवाई द्वीप के मोलोकाई टापू में मात्र 30 वर्ष की उम्र में आ गये , जहाँ कोढ़ियों को आबाद किया गया था | कुल 800 चलते-फिरते निर्जीव शरीर उन्हें वहां मिले | फादर ने उन्हें प्यार दिया , ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति कराई | उनने उनकी खूब सेवा की , उनके लिये स्वच्छ हवादार मकान बनाये , नालियों व सफाई की व्यवस्था की | उनकी सेवा का सम्मान हुआ , स्वयं महारानी ने 1881 में वहां आकर उन्हें पदक दिया | क्रमश: रोग ने उन्हें भी ग्रास में ले लिया व 1899 की 15 अप्रैल को वे शरीर छोड़कर चले गये , पर अंतिम समय तक अपने साथियों के बीच सेवा करते हुए ही उनकी हर श्वास बीती | यही तो है-- सच्ची ईश्वर भक्ति
भले ही हमारी उपासना पद्धतियाँ अलग-अलग हों , हम परमार्थ के मार्ग पर चलें | ईश्वर की इस विराट बगिया को सुंदर बनाना ही उनका भजन करना है | जो भी हमसे बन पड़े , वह करते हुए हम औरों का कितना हित कर पाते हैं , इस विश्व-उद्दान में कितने रंगीन फुहारे आसमाँ में उछाल पाते हैं , इस पर हमारे भजन का वजन टिका है |