10 October 2017

WISDOM ------- अन्यायी कितना ही बड़ा और शक्तिवान क्यों न हो ईश्वर उसके साथ नहीं होता l अत: उसे हारना ही पड़ता है l

  जब  तक  जी  सकते  हैं  शान  से  जियें ,  मनुष्य  की  गौरव  गरिमा  से  जियें  ,  अन्याय  से  संघर्ष  कर  के  जियें  l 
       महाभारत    युद्ध  के  दौरान   कर्ण  ने  भीष्म  से  पूछा ---- " आप  हम  सबके  पितामह   हैं  और  इसके  साथ  परशुराम  जी  के  शिष्य  हैं  l   मेरे  गुरुभाई  भी  हैं  l   ऐसा  क्यों  होता  है  कि  अर्जुन  से  अधिक  पराक्रमी  होने  के  बावजूद  ,  यह  विश्वास  मन  में  होते  हुए  भी   कि  मैं  युद्ध  में   उसे  हरा  दूंगा  ,     जब  भी  मैं   अर्जुन  के  समक्ष  होता  हूँ  ,   तब - तब  पराजय  का  भाव  मेरे  मन  में  आता  है   l "
     भीष्म  ने  कहा  ----- ऐसा  इसलिए  है  कर्ण  कि  तुम  जानते  हो  कि   तुम  गलत  हो  ,  वह  सही  है  l   तुम्हारे  अन्दर  अपराधबोध   है   l  उसी  का  बोझ    तुम्हारे  मन  पर  है   l    भावनाओं  का  अवरोध  ही    तुम्हारी  क्षमताओं  को   रोकता  है   l   तुम  विचारशील  होने  के  नाते   यह  भी  जानते  हो  कि   पांडवों  के  साथ  अन्याय  हो  रहा  है    और  तुम  अन्याय  के  पक्ष  में   खड़े  हो   |  तुम्हारा  अंतर्मन  बार - बार  हिचकता  है   l   कर्ण  !  तुम  अधर्म  के  साथ  खड़े  हो   l  "