29 March 2018

सजग पत्रकार , समर्थ समाज सेवी ------- पं. इन्द्र विद्दावाचस्पति

  इन्द्र जी  कहते  थे ---- "  इस  समय  आवश्यकता  इस  बात  की  है  कि  सरकारी  कर्मचारियों , मंत्रीमंडल  और  पत्रकारों   तथा   जनता    सबका  चरित्र  का  स्तर  ऊँचा  हो  l  यदि  ऐसा  न  होगा  तो  स्वराज्य  ताश  के  पत्तों   के  मकान  की  तरह  ढह  जायेगा  l  "
  इस  अनिष्टकारी   स्थिति  से   परित्राण  पाने  का  मार्ग  भी  उन्होंने  सुझाया ---- " शिक्षण , द्रष्टान्त  और  प्रचार  से  हम  स्थिति  को  सुधार  सकते  हैं  l   शिक्षा  में  सुधार  हुआ  ही  नहीं  है  l  नैतिक  और  आचरण  सम्बन्धी   बातों  के  प्रचार  की  आवश्यकता  है  l  सबसे  बड़ी  बात  है  द्रष्टान्त  की  l  जनता  वही  करेगी  जो  बड़े  करेंगे  l  त्याग  ऊपर  से  ही  आरम्भ  होना  चाहिए  ,  इसके  लिए  उपदेश  निरर्थक  है  l  "
 ' आज  देश  में  सबसे  बड़ी  आवश्यकता  चरित्र निर्माण  और  नैतिक  जागरण  की  है  l  
  इन्द्र  जी  निर्भीक  पत्रकार    और  निष्ठावान  देशभक्त  थे  l  उनके  पत्रों  ने  राष्ट्रीय  जागरण  का  जो  कार्य  किया  वह  अपने  आप  में  अनूठा  है  l   आज  तो  पत्रकारिता  के  क्षेत्र  में  स्वतंत्र  विचारों  की  हत्या  हो  गई  है  l  यह  कला  आज  पूंजीपतियों  की  क्रीतदासी  बनती  जा  रही  है   l
  इन्द्र जी  का  जीवन  पत्रकारों , आचार्यों  और  समाज सेवियों  के  लिए  आदर्श  है  l