शिवाजी सो रहे थे कि एक बालक तलवार लेकर उनके शयनकक्ष में प्रवेश कर गया l वह शिवाजी पर हमला करने ही वाला था कि शिवाजी के सेनापति तानाजी , जो सतत उनके साथ साए की तरह रहते थे , ने उसे देख लिया l इससे पूर्व वह कुछ कर पाता, उसे पकड़ लिया गया l शिवाजी जाग गए l उन्होंने पूछा ----- " बालक ! तुम हमें क्यों मारना चाहते हो ? "
बालक ने कहा ----- " महाराज ! मेरे पिताजी आपकी सेना में एक सैनिक थे l वे युद्ध में मारे गए l राज्य से हमें कोई सहायता नहीं मिली l मेरी माँ काफी दिनों से बीमार है l हम दोनों बड़ा कष्टमय जीवन जी रहे हैं l मैं किसी काम की तलाश में निकला था कि आपके शत्रु सुभागराय ने मुझे आपके विषय में बहुत कुछ भला - बुरा कहा और बोला कि तू मेरे और तेरे शत्रु शिवाजी को मार दे l मैं तुझे धन दूंगा l मैं इसी कारण यह पता होते हुए भी कि पकड़े जाने पर मृत्यु दंड मिलेगा , आपको मारने आया l "
तानाजी ने कहा --- " तू रंगे हाथों पकड़ा गया है l अब तुझे अपनी जान देनी होगी l "
बालक बोला ----- " मेरी माँ मृत्युशय्या पर है , उसे प्रणाम कर कल प्रात: तक वापस आ जाऊँगा l "
शिवाजी सभी बातें देख - सुन रहे थे , उन्होंने कहा ---- " बालक ! तुम जाओ , कल आ जाना l "
बालक मालोजी राव अगले दिन दरबार में आया और उसने समर्पण कर दिया l
शिवाजी ने भरे दरबार में कहा ------ " यह सत्य निष्ठ बालक हमारे वीर सैनिक का बेटा है | भूल हमसे हुई है l हमने उसके परिवार का ध्यान नहीं रखा l हम इसे क्षमा कर आजीवन भरण - पोषण की व्यवस्था करते हैं l "
शिवाजी प्रथम राज्याध्यक्ष हैं , जिन्होंने इस घटना के बाद अपने सैनिकों को जीवनकाल एवं मृत्यु के बाद उनके परिवार के भरण - पोषण की योजना बनाई l
बालक ने कहा ----- " महाराज ! मेरे पिताजी आपकी सेना में एक सैनिक थे l वे युद्ध में मारे गए l राज्य से हमें कोई सहायता नहीं मिली l मेरी माँ काफी दिनों से बीमार है l हम दोनों बड़ा कष्टमय जीवन जी रहे हैं l मैं किसी काम की तलाश में निकला था कि आपके शत्रु सुभागराय ने मुझे आपके विषय में बहुत कुछ भला - बुरा कहा और बोला कि तू मेरे और तेरे शत्रु शिवाजी को मार दे l मैं तुझे धन दूंगा l मैं इसी कारण यह पता होते हुए भी कि पकड़े जाने पर मृत्यु दंड मिलेगा , आपको मारने आया l "
तानाजी ने कहा --- " तू रंगे हाथों पकड़ा गया है l अब तुझे अपनी जान देनी होगी l "
बालक बोला ----- " मेरी माँ मृत्युशय्या पर है , उसे प्रणाम कर कल प्रात: तक वापस आ जाऊँगा l "
शिवाजी सभी बातें देख - सुन रहे थे , उन्होंने कहा ---- " बालक ! तुम जाओ , कल आ जाना l "
बालक मालोजी राव अगले दिन दरबार में आया और उसने समर्पण कर दिया l
शिवाजी ने भरे दरबार में कहा ------ " यह सत्य निष्ठ बालक हमारे वीर सैनिक का बेटा है | भूल हमसे हुई है l हमने उसके परिवार का ध्यान नहीं रखा l हम इसे क्षमा कर आजीवन भरण - पोषण की व्यवस्था करते हैं l "
शिवाजी प्रथम राज्याध्यक्ष हैं , जिन्होंने इस घटना के बाद अपने सैनिकों को जीवनकाल एवं मृत्यु के बाद उनके परिवार के भरण - पोषण की योजना बनाई l