23 September 2023

WISDOM -----

  इस  संसार  में  भांति -भांति  के  लोग  हैं  l  समस्या  यह  है  कि  उन्हें  पहचाने  कैसे  कि   कौन  कैसा  है  ?  अधिकांश  लोग  एक  मुखौटा  लगाए  हैं  ,  जो  जैसा  दीखता  है  वो  वैसा  है  नहीं  l  लेकिन  फिर  भी  यदि  हम  किसी  के  आचरण  का  गहराई  से  अध्ययन  करें   तो  हम   किसी  की  भी  सच्चाई  को  समझ  सकते  हैं   और  यदि   किसी  का  सच  समझ  में  आ  जाये  तो  धोखा , विश्वासघात  की  संभावना   नहीं  रहती  l  आज  के  कठिन  समय  में  पुस्तकीय  ज्ञान   के  साथ   जीवन  जीने  की  शिक्षा  भी  जरुरी  है  l  ऋषियों  का  कहना  है  --- संसार  का  प्रत्येक  प्राणी   अपने -अपने  भाव  के  अनुसार  क्रिया  प्रकट  करता  है  l  l  जिसके  भीतर  जो  है  ,  वही  उसकी  क्रिया  में  प्रकट  होता  है    जैसे  --- बगीचा  एक  है  , मक्खी  बाग़  में  घुसते  ही  गंदगी  ढूँढने  लगती  है   और  कहीं  न  कहीं  से   गंदगी  को  ढूंढकर   उसका  स्वाद  लेती  हुई  प्रसन्न  होती  है   l  लेकिन  जब  कोई  मधुमक्खी  उस  बाग़  में  जाती  है   तो  वह   गंदगी  की  ओर  आँख  उठाकर  भी  नहीं  देखती   और  सुन्दर  पुष्पों  में  से  मधुर  पराग  इकट्ठा  करती  है  l   कोयल  उस  बाग़  में  प्रवेश  कर    बहुत   प्रसन्न  होती  है  ,  कुहू -कुहू   कूकती  है  , अपनी  सुरीली  आवाज  से  सबको  प्रसन्न  करती  है   l  दूसरी  ओर  चमगादड़  है   जो  अंधकार  का , नकारात्मकता  का  प्रतीक  है  ,  वह  उस  बाग़  में  घुसता  है   तो  उसके  उत्तम  फल -फूलों  को  कुतर -कुतर  कर   जमीन  पर  ढेर  लगाता  है   और  उस  बगीचे  को  कुरूप  बनाता  है  l  बाग़  एक  ही  है  लेकिन  चारों  प्राणी  अपने  अपने  भाव  के  अनुसार  क्रिया  करते  हैं   l  इसी  तरह  यह  संसार  ईश्वर  का  सुन्दर  बगीचा  है  ,  यहाँ  काम , क्रोध , लोभ , मोह ,तृष्णा , महत्वाकांक्षा , अहंकार ,  ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार   जैसे  मानसिक  विकारों  से  ग्रस्त   लोग    रहते  हैं  l    व्यक्ति  का  मास्क  उसके  इन  विकारों  को  ढक  नहीं  पाता  l  आचार्य  श्री  कहते  हैं  --- सच्चाई  कभी  छुप  नहीं  सकती  l  मनुष्य  के  व्यक्तित्व  में  इतने  छिद्र  हैं   कि  कहीं  न  कहीं  से  सत्य  बाहर  आ  ही  जाता  है   l   ,  सरल  भाषा  में  कहें  तो  व्यक्ति   का  व्यवहार , उसके  तौर -तरीके ,  उसकी  जीवन  शैली   उसकी  सच्चाई  को  बयां   करते  हैं  l  

WISDOM -----

    संत  हरिदास  अपने  शिष्य  तानसेन   से  कह  रहे  थे  कि  यदि  ईश्वर  को  पाना  है  तो  अपने  अहंकार  को  मिटाना  होगा  l  बाबा  हरिदास  अपनी  आध्यात्मिक  अनुभूति   उन्हें  सुनाते  हुए  बोले ----" सुबह  मैंने  ध्यान  में  देखा  , राधारानी  श्रीकृष्ण  से  कह  रहीं   हैं  ---' कन्हैया !  यह  बाँसुरी  सदा  ही  तुम्हारे  ओंठों  से  लगी  रहती  है  ,  तुम्हारे  ओंठों  का  स्पर्श   इस  बांस  की  पोंगरी  को  इतना  अधिक  मिलता  है  कि  मुझे  जलन  होने  लगती  है  l '  राधारानी  की  बात  सुनकर  श्रीकृष्ण  खूब  जोर  से  हँसे   और  बोले  --- " राधिके  ! बाँसुरी  होना  सबसे  कठिन  है  , शायद    उससे  कठिन  और  कुछ  भी  नहीं  l  जो  स्वयं  को  बिलकुल  मिटा  दे  , वही  बाँसुरी  हो  सकता  है  l  यह  बांसुरी  बांस  की  पोंगली  नहीं   है  l  इसका  स्वयं  का  कोई  स्वर  नहीं  है  --- मैं  गाता  हूँ  तो  वह  गाती  है  ,  मैं  मौन  हूँ  तो  वह  मौन  है  , मेरा  जीवन  ही  उसका  जीवन  है  l "