25 May 2022

WISDOM ---------

   लघु -कथा ------  बूढ़े  और  अशक्त  सियार  का  पेट  भरना  मुश्किल  हो  गया  l  उसे  एक  तरकीब  सूझी  l  वो  चूहों  के  बिल  के  समीप  जाकर   एक  पैर  के  बल  तपस्वी  की  मुद्रा  बनाकर  खड़ा  हो  गया  l   कंठी माला  पहने  आसमान  की  ओर  मुंह  फाड़े   एक  पैर  पर  बिल  के  द्वार  पर   सियार  को  खड़ा  देखकर   चूहों  का  मुखिया  ठिठका   l   घबराया  कि  ये  क्या  नई  मुसीबत  आ  गई  l  सोचने  लगा  कि  अब  परिवार  को  बचाने  हेतु  यहाँ  से  भागना  पड़ेगा   l  फिर  साहस  बटोर  कर  चूहों  का  सरदार  सियार   के  पास  जाकर  बोला --- "  आप  कौन  हैं  ?   हवा  में  मुंह  फैलाये  एक  टांग  पर  क्यों  खड़े  हैं  ? "  कपटी  सियार   मीठे  स्वर  में  बोला ----- " शांत  रहो  बच्चा , तप  में  विध्न  नहीं  डालो   l  हम  दंडक  वन  से  आये  हैं  , क्षुद्र  जीवों  के  कल्याण  हेतु  तप  में  रत  हैं   l  देखते  नहीं  हमारी  क्रष काया   तप  करते -करते  सूख  गई  है   l  "  चूहे  ने  पूछा ---- ' आसमान  की  ओर  मुंह  फाड़ने  से  आपका  क्या  प्रयोजन  ? '  सियार  ने  उत्तर  दिया ---  "  हम  तपस्वी  हैं , पौहारी  हैं , भोजन  नहीं  करते  ,  मात्र  वायु  के  सहारे   जीते  हैं   l  "  चूहा सरदार  ने  साथियों  को  महात्मा  का  मंतव्य   सुनाया , सब  चूहे  निश्चिन्त  हो  गए   l  कुछ  समय  बाद  चूहों  की  संख्या  घटती  देख   मूषक  सरदार  ने  पूछा   क्या  हमारे  कुछ  सदस्य  बाहर  चले   गए   हैं  ,  पहले  तो  बिल  में  खड़े  होने  की  जगह  भी  मुश्किल  थी  l  बूढ़े  का  माथा  ठनका ,  कहीं  ये  छद्दम  वेशी   महात्मा  बन्ने  वाला  सियार  ही  तो  हमारे  सदस्यों  को   नहीं  खा  जाता   ?  छिपकर  देखा  तो   ज्ञात  हुआ  कि   प्रतिदिन  लौटते  झुण्ड  में  से   अंतिम  सदस्य  को   अँधेरे  में  कपटी  सियार   चटकर  जाता  है   l  चूहों  के  सरदार  ने  सिर पीट  लिया   और  पछताया   गलती  मैंने  की  है  l   छद्दम वेश  और  उसकी  मीठी  बातों   से   प्रभावित     होकर  मैंने  ही   अपने  परिवार  का  नाश  कराया  है   l    इस  कथा   की  यही  शिक्षा  है   कि  हम  जागरूक  हों  , कहीं  ऐसे  छद्दम वेशधारी   लोगों     की  बातों  में  आकर  हम  अपना , अपने  परिवार  और  समाज  का   अहित  तो  नहीं  कर  रहे  ?